फरीदाबाद : हरियाणा प्रदेश में कोरोना के मामले आए दिन बढ़ते जा रहे है लेकिन फिर भी शराब के ठेकों को सरकार ने किसलिए खोलने कि इजाजत दीदी ।इस बात को लेकर कई लोगों के मन में शंका उमड़ चुकी है , कहीं लोग इस फैसले से खुश है तो कहीं गुस्सा हो चुके है ।
कैसे आया हरियाणा में शराब खोलने का आदेश ?
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंगलवार को रात हुई , कैबिनेट बैठक में बुधवार की सुबह से राज्य में शराब के ठेके खोलने के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी गई।
आखिर कार सुबह से ही शराब कि दुकानों के आगे लोगों ने लंबी लंबी कतार लगा ली । लेकिन इस दिन का इंतजार सिर्फ शराब पीने वालों या बेचने वालों को नहीं था बल्कि राज्य सरकारें भी इस आदेश के लिए तरस रही थी ।
लॉक डाउन शुरू होने के बाद से ही कुछ राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार से ये अपील की थी कि शराब की दुकानों को खोल दिया जाए । कुछ राज्य तो शराब की होम डिलिवरी कराने के लिए भी राजी थे ।
शराब को लेकर ऐसी बेचैनी सिर्फ पीने की लत या पीने की बेचैनी को लेकर नहीं थी ,बल्कि इसके पीछे शराब की बिक्री से होने वाली कमाई का गणित छुपा हुआ है ।
राज्य सरकार के नजरिए से देखे तो कोरोना काल में खाली हुए खज़ाने को पहले जितना करने के लिए इससे बेहतर और कोई तरीका नहीं सूझा।
शराब से कमाई का पूरा गणित ।
यदि आंकड़ों की बात करी जाए तो सरकार की 15 से 30 फीसदी कमाई शराब से होती है । लॉक डाउन के पहले और दूसरे चरण में सब कुछ बंद रहा ।शराब की बिक्री बंद करा दी गई थी ।जिसकी वजह से रोज़ाना 700 करोड़ का नुकसान हो रहा था ।ये आंकड़ा पुर देश का है ।यदि सिर्फ फरीदाबाद की बात करें तो ये आंकड़ा लाखों में है ।
शराब की दुकान खुलने से ये आमदनी फिर से शुरू हो पाएगी ।
अब जितना खज़ाना सरकार का लॉक डाउन के दौरान खाली अब वो फिर से भरा जा सकेगा। शराब एक ऐसी वस्तु है जिसको इसकी लत लग जाए तो वो खाने से ज़्यादा शराब का पीना पसंद करेगा।
फरीदाबाद में कितनी हुई मंहगी शराब ।
देसी की बोतल 5 और अंग्रेजी की 10 रुपये महंगी की गई है। कैबिनेट की बैठक में देसी शराब पर 2 से लेकर 5 रुपये तक की बढ़ोतरी की है। देसी का पव्वा 2, अधा 3 और बोतल 5 रुपये महंगी मिलेगी। इसी तरह से अंग्रेजी शराब पर कोविड-सेस लगा है। अंग्रेजी के पव्वे पर 4, अधे पर 6 और बोतल पर 10 रुपये सेस लगाया है।
कैबिनेट ने आबकारी नीति को 6 मई से लागू करने की मंजूरी दी है। पहली बार आबकारी नीति साल के 11 दिन अधिक यानी 376 दिन लागू रहेगी। यह नीति अब अगले साल 15 मई तक जारी रहेगी।
जानकारी के लिए बताना चाहेंगे की शराब अभी जीएसटी की दायरे से बाहर है । जिससे राज्यों कि बढ़िया कमाई होती है ।राज्य अपने हिसाब से इसकी कीमत तय कर सकते है । अगर अन्य किसी कारण से राज्य सरकार की आय कम हो जाए तो शराब के दाम बढ़ाकर आसानी से उस आय को संतुलित कर सकते है ।वैसे भी शराब पीने वाले सस्ती या मंहगी शराब नहीं देखते , बस पीने की लालसा उन्हें मंहगी से महंगी शराब भी दिला ही देती। कितनी ही मंहगी क्यों ना हो शराब चाहिए मतलब चाहिए ।
लड़खड़ाती अर्द्धव्यवस्था के लिए जरूरी ।
कई लोग सरकार की इस फैसले से नांक मुंह चड़ाएंगे ,गुस्सा भी करेंगे और शायद आवाज़ भी उठाएंगे ।लेकिन सच्चाई यही है कि देश की लड़खड़ाती अर्दव्यवस्था को संभालने के लिए शराब से ही पैसे कमाए जा सकेंगे ।क्योंकि एक शराब पीने वाला व्यक्ति एक पल के लिए खाना भी छोड़ सकता है केवल दो घूंट शराब के लिए । गरीब हो या अमीर लेकिन जिसे इसकी लत लग जाए वो बिना शराब नहीं रह सकता ।
ठेकों के बाहर भीड़ देखने को मिल ही रही है और खुले रहेंगे ठेके तो मिलेगी भी ।
अब देखना ये है कि कोरोना काल के दौरान सरकार की इस पहल से देश की अर्धव्यवस्था को कैसे संभाला जाएगा या कोरोना बढ़ने का कारण बनेगा ये फैसला।
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