आपने नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया के बारे में तो जरूर सुना होगा, लेकिन महिला नागा साधु का जीवन सबसे अलग और निराला होता है। इनको गृहस्थ जीवन से कोई मतलब नहीं होता है। इनका जीवन कई कठिनाइयों से भरा हुआ होता है। इन लोगों को दुनिया में क्या हो रहा है, इस बारे में इन्हें कोई मतलब है। इनके बारें में हर एक बात निराली होती है।
बता दे कि नागा साधु बनने कि लिए इनक बहुत कठीन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। इसी के साथ किसी भी महिला को महिला नागा साधु बनने के लिए 10 साल तक पूर्ण ब्रह्मचार्य का पालन करना सबसे जरूरी काम होता है।
इस बात का निर्णय महिला नागा साधु की गुरु करती है कि महिला साधु बनने लायक है कि नहीं। इसके बाद ही आगे के सारे काम किए जाते हैं। महिला नागा साधु बनने के लिए मुंडन किया जाता है। इसके अलावा, उसकी पूरी सम्पर्णता सुनिश्चित करने के लिए उसे यह साबित करना होता है कि वह अपने परिवार से दूर हो चुकी है और अब किसी भी बात का मोह नही है। महिला और पुरुष नागा साधुओं में केवल एक अंतर है।
महिला नागा साधुओं को पीले कपड़े से खुद को ढंकने के लिए बनाया जाता है। उन्हें नग्न स्नान करने की अनुमति नहीं है और इसलिए उन्हें स्नान करते समय भी उस पीले कपड़े का उपयोग करना पड़ता है।
वहीं आपको ये भी बता दे कि महिला नागा सन्यासिन बनाने से पहले अखाड़े के साधु-संत महिला के घर परिवार और पिछले जीवन की जांच-पड़ताल करते हैंं.महिला को भी नागा सन्यासिन बनने से पहले स्वंयंं का पिंडदान और तर्पण करना पड़ता है।
जिस अखाड़े से महिला सन्यास की दीक्षा लेना चाहती है, उसके आचार्य महामंडलेश्वर ही उसे दीक्षा देते हैंं।
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