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निजी स्कूलों से निष्कासित अध्यापक बनाने लगे पुराने अखबारों से लिफाफे, विवाद सुलझाएगा शिक्षा विभाग

वैश्विक महामारी में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसे प्रभावित ना किया हो, इससे प्रभावित सर्वाधिक शिक्षा विभाग हुआ है। कारोना संक्रमण ने शिक्षकों के पेट पर ऐसे लात मारी है कि अभी तक इसका दर्द कम नहीं हो रहा है।

इसका अर्थ यह है कि अनलॉक प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद भी स्कूलों को पूरी तरह से खोला नहीं गया है जो स्कूल खुले हैं उन्हें भी पाबंदियों के घेरे में रखा हुआ है ऐसे में निजी स्कूलों से निष्कासित किए गए अध्यापक घरों में पुराने अखबार से लिफाफे बनाने को मजबूर हो गए।

निजी स्कूलों से निष्कासित अध्यापक बनाने लगे पुराने अखबारों से लिफाफे, विवाद सुलझाएगा शिक्षा विभागनिजी स्कूलों से निष्कासित अध्यापक बनाने लगे पुराने अखबारों से लिफाफे, विवाद सुलझाएगा शिक्षा विभाग

वहीं, शिक्षा अधिकारी सतेंद्र कौर का कहना है कि वह स्कूल से शिक्षक को निकाले जाने के विवाद को सुलझाने में जुटी हैं। सार्थक हल निकाला जा रहा है। जबकि पीड़ित अध्यापक अकरम सैफी का कहना कि अधिकारी उन्हें यह कह चुकी है कि स्कूल प्रबंधन उनकी नहीं सुन रहा, वह असहाय हैं।

—- जनवरी का वेतन भी सीएम विंडो से मिला
गौंछी स्थित रतन कॉन्वेंट स्कूल में अकरम अंग्रेजी के अध्यापक (पीजीटी) थे। अकरम के अनुसार वह अप्रैल 2019 से इस स्कूल में कार्यरत थे। मार्च 2020 में स्कूल ने दिसंबर 2019 तक का बकाया चुकाया था।

मार्च में लॉकाडाउन होने तक जनवरी व फरवरी माह का वेतन भी बकाया था। इसके बाद स्कूल ने केवल सात हजार रुपये का भुगतान किया। अकरम ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण वह फोन का रिचार्ज नहीं करा सके। बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा भी नहीं सके। इसके बाद से स्कूल ने उन्हें कोई वेतन नहीं दिया।

सीएम विंडो पर शिकायत की तो 14 हजार 302 रुपये बकाया राशि के रूप में देकर चलता कर दिया। साथ ही शिकायत की जांच में जवाब दिया कि अकरम उनके स्कूल में प्रतिदिन भुगतान की एवज में कार्यरत थे। इसलिए स्कूल की उनके प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं। वहीं, अकरम ने मामले की शिकायत अब एफएफआरसी, शिक्षा विभाग से की है।

कई स्कूलों पर जल्द ही गिरेगी गाज
जिला शिक्षा अधिकारी सतेंद्र कौर बताती हैं कि मामले की जांच कर सुलझाने का प्रयास है, हालांकि निजी स्कूल स्थानीय अधिकारियों को कुछ नहीं समझते। शिकायत के बावजूद मामले में सुनवाई न होने की बात पर उन्होंने बताया कि जिले में एक अकरम नहीं है, शिकायतों से दफ्तर भरा हुआ है। कई निजी स्कूलों ने अध्यापकों को बाहर कर दिया है। सीएम विंडों पर भी शिकायतों का ढेर है।

पढ़ाई लिखाई आर्थिक तंगी को पार नहीं लगा पा रही

अकरम बताते हैं अब ट्यूशन का भी सहारा नहीं है। उन्होंने एमए इंग्लिश, बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड), अध्यापक पात्रता परीक्षा ( एचटेएट) व स्टेट टीचिंग टेस्ट ( एसटेट) क्वालिफाई किया हुआ है। एलबीओ सहित कई सरकारी नौकरियों के साक्षात्कार तक पहुंच चुके हैं। बावजूद इसके उनकी पढ़ाई लिखाई आर्थिक तंगी को पार नहीं लगा पा रही।

deepika gaur

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