खुशी से महरूम रह गए छठ मैया के घाट, पांडाल के बाहर लगी सूचना ने तोड़ दिया दिल : मैं हूँ फरीदाबाद

नमस्कार! मैं हूँ फरीदाबाद, आज आपके साथ अपने पुराने अनुभव को साझा करना चाहता हूँ। बीते साल इस समय पर पूरा क्षेत्र छठ की लालिमा से सजा हुआ था और हर कोई अपने अपनों के साथ छठी मैया की आराधना करने के लिए उत्साहित था। घाट पर सजी हुई पूजा सामग्री, कंद, फूल – फल और सजे हुए फरीदाबाद वासी।

हर कोई खुश था और पूजा में लीन था जब मैया छठी की बिदाई हुई तो हर किसी के मन में ये आस थी कि आगामी वर्ष में माता की पूजा अर्चना और अच्छे से करेंगे। पर किसे पता थी कि इस साल यह क्षेत्र छठ की छटा से वंचित रह जाएगा।

खुशी से महरूम रह गए छठ मैया के घाट, पांडाल के बाहर लगी सूचना ने तोड़ दिया दिल : मैं हूँ फरीदाबाद

हाँ मैं जानता हूँ कि घर पर भी त्यौहार मनाया जा सकता है पर छठ के मायने ही साथ होने से हैं। बुआ, चाची और दादी का लाड मिलता है तो काका, बाबा भी अपने काम से आराम लेकर परिवार के साथ वक्त बिताते हैं। छठ ही तो वो त्यौहार है जो घर के हर एक सदस्य को एक साथ लाता है। पर इस बार महामारी ने ऐसी गाज गेरी है कि छठ के त्यौहार के रंग फीके पड़ गए हैं।

आज जब उन छठ के पांडालों को देखा तो दिल टूट गया, ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उनकी जान ले ली हो। इन घाटों ने पूरा साल इंतजार किया है जो अब अगले साल तक बरकरार रहेगा। जानता हूँ कि क्षेत्र में बढ़ते संक्रमण के आगे हार कर प्रशासन को यह कदम उठाना पड़ा है पर उन बच्चों को कौन समझाए जो पूरे साल इस पर्व का बेसब्री से इन्तजार करते हैं।

जब पांडालों के बाहर लगी सूचना देखता हूँ तो दिल तार तार हो जाता है। इस सूचना में लिखा होता है वो फरमान एक समुदाय की खुशियों पर टोक लगा देता है। पर मेरा यकीन मानिये कि प्रशासन द्वारा बरती जा रही यह सख्ती आप की भलाई के लिए है। आए दिन क्षेत्र में 500 से ज्यादा की तादाद में मामले सामने आ रहे हैं।

ऐसे ने आप सभी की सुरक्षा सर्वोपरि है और त्यौहार तो महामारी के अंत के बाद भी मनाए जा सकते हैं। मैं भी आज आप सभी से एक अपील करना चाहता हूँ , मैं उम्मीद करता हूँ कि आप मेरी बात को तवज्जो देंगे। हमारे बीच में आई महामारी को हारने के लिए आपका योगदान और समर्थन जरूरी है। आप सभी से अनुरोध है कि व्यर्थ कारणों से अपने घरों के बाहर न निकलें और नियम निर्देशों का पालन करें।

Avinash Kumar Singh

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