जे.सी. बोस विश्वविद्यालय की ई-लाइब्रेरी पर उपलब्ध है पांच लाख से अधिक ई-रिसोर्सेज :- जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के पंडित दीनदयाल उपाध्याय केंद्रीय पुस्तकालय द्वारा अध्ययन एवं शिक्षण के ई-संसाधनों के उपयोग को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में विश्वविद्यालय और विभिन्न संस्थानों के 70 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यशाला के दौरान दो विशेषज्ञ व्याख्यानों का आयोजन किया गया, जिससे आईआईटी मुंबई से डॉ. समीर सहस्रबुद्धे और कला निधि, भारत गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली से डॉ. रमेश ने संबोधित किया। कार्यशाला में कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने भी रहे।
विश्वविद्यालय के लाइब्रेरियन डॉ. पी.एन. बाजपेयी ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और डिजिटल प्लेटफॉर्म, विशेषकर ई-लाइब्रेरी पोर्टल और इसके माध्यम से प्रदान की जा रही सुविधाओं की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ई-लाइब्रेरी पर पांच लाख से अधिक संसाधनों को सिंगल विंडो सर्च की सुविधा के साथ उपलब्ध करवाया गया है जो विद्यार्थियों, शोधार्थियों तथा शिक्षकों को सभी आवश्यक शिक्षण सामग्री कहीं से भी, कभी भी और किसी भी डिवाइस पर उपलब्ध करता है।
इस अवसर पर ई-लाइब्रेरी मोबाइल ऐप भी प्रदर्शित किया गया, जिसके कुछ ही समय में 1000 से अधिक डाउनलोड हो चुके है। यह ऐप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चैटबोट जैसी अनूठी विशेषताओं से सुसज्जित है, जिसे आईएलए और सोशल-लिब कहा जाता है।
अपने विशेषज्ञ व्याख्यान में, आईआईटी मुंबई के वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक डॉ. समीर सहस्रबुद्धे ने भारत में डिजिटल शिक्षा के बारे में बात की और डिजिटल शिक्षा के लिए मुक्स पाठ्यक्रमों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने बताया कि शिक्षक केवल ज्ञान का प्रदाता नहीं है, बल्कि शिक्षा को सुविधाजनक बनाने के सूत्रधार भी है। शिक्षकों को अगली पीढ़ी की जरूरत के अनुसार ज्ञान को लगातार उन्नत करना चाहिए। उन्होंने केस स्टडीज द्वारा कुछ मामलों का उदाहरण भी दिया।
उन्होंने शिक्षकों को अध्ययन व शिक्षण की प्रक्रिया में फ्लिप क्सालरूम और डिजिटल पेडगाॅजी जैसी नवीनतम तकनीकों को अपनाने की सलाह दी।
दूसरे व्याख्यान में, डॉ. रमेश गौड़ ने ‘खोज, अनुसंधान और प्रकाशन के आदर्श आचरण के बारे में बताया। लाइब्रेरी के ई-संसाधनों को कहीं भी और कही से भी एक्सेस करने की सुविधा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ. गौड़ ने कहा कि खोज प्रभावी शोध का पहला चरण है।
उन्होंने साहित्यिक चोरी एवं इसके प्रकार तथा परिणामों तथा प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए इसका पता लगाने तथा बचाव के बारे में बताया। डाॅ. गौड जो यूजीसी की साहित्यिक चोरी विनियम समिति के सदस्य भी हैं, ने विश्वविद्यालय को यूजीसी के दिशा-निर्देशानुसार साहित्यिक चोरी पर नीति बनाने का सुझाव दिया।
डॉ. गौड ने ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्मों की शुरूआत करने पर विश्वविद्यालय को बधाई दी।
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