इन दिनों हरियाणा और पंजाब के हजारों किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। दिसंबर की सर्द रातों में सड़कों पर सोने को मजबूर हैं हरियाणा और पंजाब के किसान पर सरकार द्वारा किसानों को समझाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसी बीच सरकार किसानों और अन्नदाताओं के प्रोत्साहन के लिए हर संभव प्रय्यास कर रही है।
अन्नदाताओं का भूजाल संरक्षण की ओर रुझान बढ़ता जा रहा है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार किसानों ने सरकार की मेरा पानी-मेरी विरासत योजना से प्रेरित होकर बाजरे और कपास का उत्पादन ज्यादा किया है। कपास और बाजरे का उत्पादन ज्यादा होने से धान का उत्पादन घटा है। फसल की खरीद के आंकड़ों से स्पष्ट है कि इस बार मानसून सत्र के दौरान भूजल का दोहा नहीं बल्कि संरक्षण की ओर ध्यान दिया गया है।
दरअसल इस बार के मानसून सत्र में सरकार ने किसानों कृतियों और अन्य दाताओं को मेरा पानी मेरी विरासत योजना के बारे में जागरूक किया था। सरकार ने किसानों को प्रेरित किया कि जो किसान धान को छोड़कर कपास, बाजरा और मक्का की बुवाई करेंगे उन्हें ₹7000 प्रति एकड़ कृषि व किसान कल्याण विभाग की तरफ से प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जाएंगे। यह कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारी और पटवारी की रिपोर्ट तय करेगी।
किसान ने पिछले वर्ष संबंधित खेत में धान की बुवाई की थी कृषि एवं कल्याण विभाग कृषि वैज्ञानिक रामानंद शर्मा का कहना है कि सरकार की मेरा पानी-मेरी विरासत योजना का असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। जिले में 5900 किसान ऐसे हैं जिन्होंने इस बार धान की रोपाई की जगह दूसरी कोई फसल लगाई है। इन किसानों को प्रोत्साहन राशि उनके खाते में दी जा रही है जिससे काफी किसान खुश हैं।
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