लोक डाउन खत्म होते ही सड़क हादसों की गिनती फिर से शुरू हो चुकी है। दिन प्रतिदिन लोग अपनी लापरवाही से अपनी एवं अपनों की जान गवाह रहे है। सड़क हादसों का कारन बनती है हमारी खुदकी की लापरवाही।
ट्रैफिक रूल्स के जानकार होने के बाद भी लोग उन्हें तोड़ते है। लगातार बढ़ता वाहनों का बोझ और संकरी होती सड़कें दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं। सड़क पर बढ़ती दुर्घटनाओं में सबसे अधिक पैदल चलने वाले व दुपहिया वाहन का प्रयोग करने वाले काल का ग्रास बन रहे हैं। इनमें करीब 60 फीसद दुपहिया वाहन चालक ऐसे थे, जिन्होंने दुर्घटना के समय हेल्मेट नहीं पहन रखा था रॉंग वे से गाड़ी चलकर अपनी और अपनों की जान गवाह देते है ,और कुछ भी है जो स्पष्ट है कि हमारी खुद की छोटी-छोटी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो रही है। यातायात नियमों का पालन कर इन दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।
हालांकि यातायात पुलिस के पास कोहरे में होने वाली दुर्घटना का अलग से ब्यौरा उपलब्ध नहीं है। दिन में सड़कों पर वाहनों की संख्या अधिक होने के बावजूद दुर्घटनाएं रात की अपेक्षा कम हुई हैं। यातायात पुलिस के अनुसार वर्ष 2014 में दिन में सड़क दुर्घटना में जहां 117 लोगों ने अपनी जान गंवाई, वहीं रात में 78 लोग काल का ग्रास बने। इसमें कहीं न कहीं शराब पीकर वाहन चलाने तथा सड़कों पर स्ट्रीट लाइट की कमी एक बड़ा कारण हैं। वहीं पैदल चलने वालों के लिए क्रासिंग की उचित व्यवस्था नहीं होना भी उनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
दुर्घटनाओं के कारण
वाहन चालकों द्वारा बरती जा रही छोटी-छोटी लापरवाही दुर्घटना का कारण बन रही हैं। वाहन चलाते समय पूरी एहतियात बरतना तथा यातायात नियमों का पालन करना बहुत जरुरी है । इसके अलावा यदि हम अपने गंतव्य पर पहुंचने के लिए घर से थोड़ा जल्दी निकले, इससे हम सड़क पर जल्दबाजी में नहीं रहेंगे। इससे दुर्घटना की संभावना कम होगी।
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