हरियाणा और पंजाब के किसान पिछले कई दिनों से सरकार के साथ निरंतर चलते गतिरोध के कारण सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। किसानों का मानना है कि सरकार द्वारा जितने भी कृषि अध्यादेश पारित किए गए हैं। वे किसानों के भले के लिए नहीं बल्कि पूंजी पतियों की जेबे भरने के लिए हैं। बीते दिन सरकार द्वारा पारित किये गए तीन कृषि अध्यादेशों को थोपा हुआ और खोखला बताते हुए, किसानों का कहना है कि इनमे संशोधन किया जाए।
ऐसे में किसानों ने एक मत बना ली है और यह तय कर लिया है कि किसानों का समर्थन ना करने वाले सत्ताधारी नेताओं का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। दरअसल उचाना के पालवा गांव में शनिवार को धारण खाब के चबूतरे पर हुई किसान महापंचायत में यह निर्णय लिया गया है।
किसानों ने इस समय चल रहे किसान आंदोलन पर चर्चा करते हुए यह बात सामने रखी कि सरकारी नेता पहले आम जनता और किसानों से बहला-फुसलाकर वोट बटोर ते हैं और उसके बाद जब उन पर कोई दुख तकलीफ आती है तो नेता मुंह फेर लेते हैं।
गांव वालों का मानना है कि यह नाइंसाफी और नहीं चलने दी जाएगी। इतना ही नहीं यह भी तय किया गया कि इन नेताओं द्वारा सरकार से समर्थन वापस न लेने पर भंगार के इलाके में आने पर काले झंडे दिखाकर विरोध करने व किसी भी ग्रामीण द्वारा बात ना करने का भी फैसला लिया गया है। इस तरह हरियाणा के गांव में जो भी सत्ताधारी नेता किसानों का समर्थन नहीं करेंगे उनका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जाएगा ऐसा किसानों का मत है।
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