वर्ष 2021 में होने वाली स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर नगर निगम अपने कार्यों में पूरी तरह मग्न हो गया है। जहां एक तरफ निगम टीम द्वारा लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। वही सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि अभी तक शहर के शौचालय की तरफ अधिकारियों का ध्यान गया ही नहीं है।
इतना ही नहीं चौक चौराहों पर बने खत्तों से कूड़े का निपटान नियमित रूप से नहीं हो पा रहा है। यह कूड़ा उठाने का कार्य इको ग्रीन वाहन का है। मगर यह अपने कार्यों में कितनी कुशल है यह बात किसी से छिपी नहीं है।
अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में भी फरीदाबाद को मुंह की खानी पड़ेगी और स्वच्छ सर्वेक्षण में क्या हाल होगा इसका अंदाजा सरलता से लगाया जा सकता है। वहीं ऐसे में ना जाने नगर निगम टीम द्वारा लोगों को जागरूक करके आखिर किस प्रकार की खानापूर्ति की जा रही है।
तस्वीरों में आप साफ-साफ देख सकते हैं किस तरह ओल्ड फरीदाबाद से लेकर बड़खल तथा बल्लबगढ़ के खत्तों में कचरे का ढेर लगा रहता है। जहां नया वर्ष जनवरी 2021 शुरू होने को है। वही स्वच्छता सर्वेक्षण भी पलके बिछाए इंतजार कर रहे हैं।
वहीं केंद्र की टीम शहर शहर जाकर सर्वेक्षण करेगी और स्वच्छता सर्वेक्षण का परीक्षा 6000 अंकों का होगा। हर बार की तरह इस बार केंद्र की तीनों टीम शहर शहर जाकर वास्तविक हालातों का मुआयना करेगी। इतना ही नहीं आम जन से बातचीत करके उनकी राय भी जानी जाएगी।
जिसमें लोगों से बातचीत की जाएगी कि आखिरकार उनके शहर में शौचालय की दशा कैसी है और उसमें कितना सुधार आया है। वही किस प्रकार की सुविधाएं आमजन को प्रदान करवाई जाती है। इतना ही नहीं गीले और सूखे कचरे को लेकर स्थिति का वास्तविक जायजा केंद्रीय टीम द्वारा लिया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक इन दिनों शहर में रोजाना 800 टन कचरा एकत्र किया जा रहा है। इकोग्रीन का दावा है कि सारा कचरा बंधवाड़ी प्लांट तक पहुंचाया जा रहा है। मगर हैरानी की बात है कि खत्तों के साथ ही इकोग्रीन के ट्रांसफर स्टेशन पर भी भारी मात्रा में कचरा बढ़ रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर निगम क्षेत्र में अलग-अलग बाजारों, प्रमुख चौक-चौराहों तथा स्लम क्षेत्रों में शौचालय बना कर स्थापित तो कर दिए गए। कहीं कंकरीट शौचालय, तो कहीं प्री-फेबरिकेटेड शौचालय बनाए गए, मगर देखरेख के अभाव में शौचालयों की मौजूदा हालत खराब है।
कई जगह ताले जड़े हैं। नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार 292 कंकरीट शौचालय हैं, जो एनआइटी, तिगांव, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, बड़खल क्षेत्रों में स्थापित हैं। लगभग 200 शौचालयों की देखरेख की जिम्मेदारी का काम ठेकेदार के पास है। नगर निगम ने दो वर्ष में इनकी देखरेख के नाम पर लगभग 60 लाख रुपये खर्च किए हैं। बाकी शौचालयों की देखरेख का ठेका अभी दिया जाना है।
एनआईटी निवासी राजकुमार बताते हैं कि सबसे पहले नगर निगम को जो कार्य करना चाहिए वह यह कि शहर के खत्तों पर फैले कचरे का उठान करें।नियमित रूप से कचरा उठान होगा, तभी कहीं जाकर शहर साफ दिखेगा। अन्यथा समस्या सालों साल ऐसी ही बनी रहेगी।
बल्लभगढ़ निवासी नंदराम वशिष्ट बताते हैं कि अगर वास्तव में शहर को स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल लाना है, तो शहर को साफ सुथरा रखना ही होगा और इसकी जिम्मेदारी सर्वप्रथम इकोग्रीन कूड़ा उठाने वाली वाहन को लेनी होगी, जो नियमित रूप से कूड़ा उठाने के लिए घर से घर जाती है। अगर ऐसा होगा रहेगा तो गंदगी फैलने के कोई आसारी नहीं होंगे।
सेक्टर 9 आरडब्ल्यूए के प्रधान रणवीर चौधरी का कहना है कि जनता को समय-समय पर जागरूक करना सबसे उत्तम है, लेकिन जरूरी है कि जनता को जागरूक करने से पहले निगम निगम अधिकारी स्वयं अपनी नींद खोले और अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सतर्कता दिखाएं। उन्होंने कहा कि ताली एक हाथ से कभी नहीं बजती। उन्होंने कहा कि स्वच्छता सिर्फ गंदगी से जुड़ी हुई नहीं है, बल्कि शौचालयों जैसे और भी बिदु हैं।
स्वच्छ भारत मिशन के अधीक्षण अभियंता रवि शर्मा का कहना है कि इस बार वह शौचालयों का निरीक्षण करने के बाद ही ठेकेदार का पूर्ण भुगतान करेंगे अन्यथा नहीं। उन्होंने कहा जिन शौचालयों की हालत दयनीय है उनकी व्यवस्था जब तक दुरुस्त नहीं हो जाती, जब तक देखरेख व मरम्मत का कोई भुगतान ठेकेदार को नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जल्द ही शौचालय को चालू करवा दिया जाएगा और वहीं ग्रीन से भी कहा जाएगा कि वह नियमित रूप से कचरा उठान करें।
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