नमस्कार! मैं हूँ फरीदाबाद, अरे मैं आज उन किसानों का पता पूछने आया हूँ जो अचानक से गायब हो गए। क्या हुआ ? नहीं समझे ? मैं समझाता हूँ आपको मैं उन किसानों की बात कर रहा हूँ जिन्होंने मेरे प्रांगण कुछ दिनों से त्राहिमाम मचाया हुआ है।
पलवल से किसान बदरपुर बॉर्डर की ओर कूच कर रहे थे पूरे क्षेत्र ने ढोल बजाकर और फूल माला के साथ उनका स्वागत किया। लगातार दो दिन से किसान आगे बढ़ते जा रहे थे पर बीच में इन्हे रोक दिया गया।
रविवार को किसानों के काफिले को बढ़खल सर्विस लेन पर रोक दिया गया। पुलिस ने अपने बल से किसानों के दिल्ली घेरने के मंसूबे को नाकामियाब कर दिया है। पर सोचने वाली बात यह है कि किसान जब आंदोलन नहीं कर पा रहे तो फिर वो गायब कहाँ हुए हैं।
किसानों को जमीन निगलि या फिर आसमान इसका पता नहीं चल पा रहा है। आज मेरे प्रांगण मे असमंजस और संशय के बोल बजते रहे पर किसी को किसानों का वजूद नहीं मिल पाया।
बात की जा रही थी कि किसान आज बदरपुर को घेरेंगे पर आज पूरा दिन मेरा प्रांगण खाली रहा। क्या किसान अपने आंदोलन को भूल गए हैं ? क्या एक किसान नेता की गिरफ्तारी से सभी किसानों का मनोबल टूट चुका है ?
पर सोचने वाली बात यह है कि अब किसान क्या करेंगे ? फरीदाबाद में किसानों के आंदोलन को रोकने की जद्दोजहद में प्रशासन कामियाब होता नजर आ रहा है।
लाख टके का सवाल यह है कि विषम परिस्थितियों के बीच किसान अपने काफिले को आगे कैसे बढ़ाएंगे? कहीं किसान टूट गए तो यह सरकार की जीत होगी।
खैर सरकार की बात करें तो उनका हाल फिलहाल बेहाल है। होना भी चाहिए जब अपने खेमे में हड़कंप मचता है तो खैर मनाना जरूरी हो जाता है।
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