पिछले महीने बतौर प्रशिक्षण कोरोना वायरस के खिलाफ विकसित किए जा रहे स्वदेशी कोवैक्सीन का टीका लगाने के उपरांत हरियाणा के 67 वर्षीय अनिल विज स्वयं कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक वैसे तो 20 नवंबर को मंत्री को पहली खुराक दी गई थी।
इस प्रशिक्षण में लगभग 50 लोगों ने अहम भूमिका अदा की थी। जिसमें हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के साथ साथ हरियाणा राज्य के रेवाड़ी जिले से गांव खरखड़ा निवासी प्रकाश यादव भी शामिल हुए थे।
जैसे ही स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज संक्रमित पाए गए सबसे पहले कोवैक्सीन पर सवाल उठने लगे। लोगों को लगने लगा कि जो संक्रमित नहीं है वह कोविड-19 का टीका लेने के बाद ही संक्रमित हो रहे हैं। जब कोवैक्सीन के ट्रायल पर सवाल उठने लगे तो रेवाड़ी निवासी प्रकाश ने बताया कि एम्स ने कुल 50 लोगों को प्रथम व दूसरे चरण के तहत डोज दी थी, जिसमें वह भी शामिल था। पूरे प्रदेश से वह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ट्रायल में शामिल हुए थे।
प्रकाश ने आगे यह भी बताया कि उन्हें वह बाकी अन्य लोगों को भी डोज दिए गए थे और वह भी उनकी तरह पूरी तरह स्वस्थ हैं। युवक प्रकाश ने बताया कि अभी तक किसी को भी संक्रमण की पुष्टि या शिकायत नहीं हुई है।उधर एम्स के डॉक्टर संजय राय का कहना है
कि व्यक्ति लेने के 4 हफ्ते बाद, या दो से 4 सप्ताह के बीच में दूसरी डोज दे दी जाती है। जिसके बाद एंडीबॉडीज विकसित होती है। ट्रायल के दौरान आधे लोगों को प्लासीबो (दवा के भ्रम में कोई सामान्य पदार्थ) व आधे को वैक्सीन दी जाती है।
हरियाणा के रोहतक में पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में भारत बॉयोटैक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। इसी कड़ी में तीसरे चरण के ट्रायल में पहली वैक्सीन/प्लेसिबो की डोज हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को दी गई थी।
ट्रायल की प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डॉ. सविता वर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को 20 नवंबर को वैक्सीन/प्लेसिबो की पहली डोज दी गई थी, जिसके उपरांत दूसरी उनको 18 दिसंबर को डोज दी जानी थी।
उन्होंने बताया कि दूसरे डोज दिए जाने के उपरांत वालंटियर्स के शरीर में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज बन जाती हैं, लेकिन पहली वैक्सीन/प्लेसिबो की डोज लगने के दो सप्ताह बाद पांच दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की रिपोर्ट कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई है।
वर्मा ने आगे बताया कि पूरे भारत से 25800 वालंटियर्स को यह ट्रायल वैक्सीन लगाई जानी है, जिसमें 1:1 के अनुपात में वालंटियर्स को वैक्सीन या प्लेसिबो लगाई जा रही है, जो पूर्व निर्धारित कोड के आधार पर होता है।
यह किसी को नहीं पता होता कि किस वालंटियर्स को वैक्सीन लगा है या प्लेसिबो। ट्रायल पूरा होने के बाद ही कोड खोला जाता है और तब यह पता चलता है कि जिन वालंटियर्स को वैक्सीन लगी थी, उन्हें कितना फायदा हुआ है।
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