बेटियों को मौक़ा मिले तो बेटों को मीलों पीछे छोड़ सकती हैं बेटियां। साहस, हुनर, कला और द्रढ़ संकल्प की जब बात आती है तो बेटियों को कोई मात नहीं दे सकता। हरियाणा के फतेहाबाद की एक 11 साल की मासूम बेटी ने साहस और पराक्रम की ऐसी ही मिसाल पेश की है। दरअसल, इन दिनों पंजाब और हरियाणा के हज़ारों किसान दिसंबर की सर्द रातें सड़कों पर बिताने को मजबूर हैं।
किसानों का मानना है कि केंद्र द्वारा जो कृषि अध्यादेश पारित किए गए हैं वे किसानों के हित में नहीं बल्कि पूंजी पतियों की जेब भरने वाले हैं। इतना ही नहीं, किसानों को हर राज्य से समर्थन मिल रहा है। साथ ही, अब विविध क्षेत्रों के अन्नदाता भी आंदोलन का हिस्सा बनते जा रहे हैं। ऐसे में, फतेहाबाद का एक मामूली किसान जब अपनी मांग सरकार तक रखने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर डटा तो पीछे से उनके बच्चे उनकी गैरमौजूदगी में खेतीबाड़ी संभाल रहे हैं।
बता दें कि हरियाणा में सिर्फ बेटे ही नहीं, बेटियां भी खेतों में सिंचाई से लेकर अन्य काम काज कर रही हैं। फतेहाबाद में 11 साल की बेटी ने अपने पिता की गैरमौजूदगी में खेती-बाड़ी कर रही है। पूरे दिन अपनी माँ और भाईओं के साथ खेती करवा कर रात में घर लौटी बेटी ने जब यह बात अपने पिता को फ़ोन पर बताई तो पिता मन बेटी के लिए प्रेम से गया और प्रेम से गदगद हो गया।
घरवालों से बात कर पता लगाया गया कि बेटी का नाम प्रिय है उसकी उम्र मात्र 11 साल है। पूछने पर प्रिय ने बताया कि उसके पापा आंदोलन में गए हैं और उसने खेत में सींचाई करने के लिए पहले नाकाबंदी की और फिर ठंड में भी कस्सी लेकर खेतों में डटी रही।
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