जानें ऐसी अदालत के बारे में, जहाँ आम लोग ही बने एक दूसरे के वकील और जज, निपटा डाले 1943 केस

स्थनीय न्यायिक परिसर में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में एक हजार 943 केसों का किया निपटारा लोगों की आपसी सहमति से किया गया। यह जानकारी देते हुए चीफ जुडिशियल मैजिस्ट्रेट कम् जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मंगलेश कुमार चौबे ने देते हुए बताया कि स्थानीय जिला न्यायालय में न्यायमूर्ति पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार हरियाणा लीगल सेवा प्राधिकरण की कार्यकारी अध्यक्ष और न्यायमूर्ति दया चौधरी के मार्ग दर्शन में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न अदालतों में विचाराधीन एक हजार 943 केसों का निपटारा जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष डीएलएसए दीपक गुप्ता के मार्गदर्शन में तथा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कम् सचिव डीएलएसए मंगलेश कुमार चौबे की देखरेख में किया गया।

जानें ऐसी अदालत के बारे में, जहाँ आम लोग ही बने एक दूसरे के वकील और जज, निपटा डाले 1943 केसजानें ऐसी अदालत के बारे में, जहाँ आम लोग ही बने एक दूसरे के वकील और जज, निपटा डाले 1943 केस

राष्ट्रीय लोक अदालत में लोगों की आपसी सहमति से केसों का निपटारा किया जाता है। स्थानीय न्यायालय परिसर में विभिन्न 12 बेंचों का गठन किया गय| राष्ट्रीय लोक अदालतों में विचाराधीन केसों से सम्बंधित लोगों/ वादियों और पैनल अधिवक्ताओं को समन्वय के लिए नियुक्त किया गया। मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी कम जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मंगलेश कुमार चौबे ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में 5371 आए थे। जिनमें से विभिन्न अदालतों में 1943 मामलों का निपटारा लोगों की आपसी सहमति से किया गया। यह राष्ट्रीय लोक अदालत एक बहुत बड़ी सफलता है, जो न्याय से बाहर ले जाने में किसी भी देरी के बिना त्वरित और कुशल तरीके से न्याय लाने में सक्षम हुई। उन्होंने बताया कि विभिन्न अदालतों में न्यायाधीशों द्वारा किए गए त्वरित और विवेकपूर्ण निर्णय इतने सारे मामलों को एक ही कार्य दिवस की समयावधि में हल करने में सक्षम हुई।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कम् मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी मंगलेश कुमार चौबे ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा हरियाणा विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा निर्देशो पर स्थानीय न्यायिक परीसर में गत 12 दिसंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसमें जिला एवं सत्र न्यायाधीश कम् चैयरमैन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दीपक गुप्ता के मार्ग दर्शन मे एमएसीटी,फैमिली मैटर,सिविल इल्कट्रीसीटी क्रिमिनल केसीज,
क्रिमिनल कम्पाउंडेबल व सिविल केसीज,एमसीएफ, फैक्टरीज,मोटर व्हीकल एक्ट,राजस्व तथा अन्य राष्ट्रीय लोक अदालत से सम्बन्धित केसो के लिए अलग अलग अदालते बनाई गई थी।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मंगलेश कुमार चौबे ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल केसों के लिए बैंच अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश गर्ग की अदालत में बनाई गई थी।इसमें सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता सुधीर कुमार को लगाया गया था। फैमली मैटर केसों के लिए बैंच जिला न्यायाधीश फैमली कोर्ट कुमारी कमुद गुगनानी की अदालत में बनाई गई है।इसमें सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता कुमारी सरीता बामल को लगाया गया था।सीविल इलेक्ट्रीसीटी क्रिमीनल केसों के लिए बैंच अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीत सहगल की अदालत में बनाई गई थी।

इसमें सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता गगन कुमार को लगाया गया था।क्रिमिनल कम्पाउंडेबल, सीविल, डीवी एक्ट तथा अन्य केसों के लिए बैंच जेएमआईसी एमजेड खान की अदालत में बनाई गई थी।इसमें सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता कुमारी भानु प्रिया को लगाया गया है। इसी प्रकार 138 इन एक्ट केसों के लिए बैंच जेएमआईसी अमित सिहाग की अदालत में बनाई गई थी। इसमें सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता कुमारी रानी छौक्कर को लगाया गया था।

एमसीएफ,फैक्ट्री एक्ट,मोटर व्हीकल तथा अन्य सभी केसों के लिए बैंच चीफ ज्युडिशियल मैजिस्ट्रेट सन्दीप चौहान की अदालत में सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता अनिल गुप्ता को,पीएमजेजेबी कुमारी पूनम कंवर की अदालत में पैनल अधिवक्ता कुमारी रेनू सिंह को, जेएमआईसी राकेश कादियान की अदालत में पैनल अधिवक्ता कुमारी मंजूला अरोड़ा को,जेएमआईसी कीमि सिंगला की अदालत में पैनल अधिवक्ता कुमारी रंजीता पटेल को,जेएमआईसी कुमारी सोनिया साहनी की अदालत में पैनल अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद को, जेएमआईसी कुमारी सीमा की अदालत में पैनल अधिवक्ता भागीरथ शर्मा को,जेएमआईसी कुमारी शशी सैणी की अदालत में पैनल अधिवक्ता संजय गुप्ता को लगाया गया था। उन्होने आगे बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालतो मे लोगों के आपसी सहमति से केसों का निपटारा किया गया है।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने आगे बताया कि इन केसों से सम्बन्धित लोग जिनके अदालतो विचाराधीन है और उनकी आपसी सहमति/समझौता हो गया है, वे लोग अपने एडवोकेट के माध्यम से केस से सम्बंधित अदालत के पैनल अधिवक्ता से संपर्क करके अपने अपने केसो का निपटारा राष्ट्रीय लोक अदालत में करवा लिया है।

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