आंदोलन में हुआ बिमारी विस्फोट सात सौ से ज्यादा किसान पड़ चुके हैं बीमार, जांच करवाने से कर रहे है मना

कृषि कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोल बैठे किसानों की मुश्किलों में इजाफा होता जा रहा है। उत्तरी दिल्ली से सटे सिंघु बॉर्डर के साथ साथ अब पलवल के पास बने केएमपी एक्सप्रेसवे पर किसानों ने अपना खेमा सजा लिया है। केएमपी बॉर्डर पर प्रदर्शन करने आए किसान देश के अलग अलग प्रदेशों से आंदोलन में हाजरी लगाने पहुंचे हैं।

आंदोलनकारी किसान मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा से आकर केएमपी एक्सप्रेसवे पर सरकार द्वारा बनाए गए तीन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। लगातार गिरते पारे के बीच प्रदर्शन कर रहे किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

आंदोलन में हुआ बिमारी विस्फोट सात सौ से ज्यादा किसान पड़ चुके हैं बीमार, जांच करवाने से कर रहे है मनाआंदोलन में हुआ बिमारी विस्फोट सात सौ से ज्यादा किसान पड़ चुके हैं बीमार, जांच करवाने से कर रहे है मना

पलवल से सटे केएमपी बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन की बात की जाए तो पिछले 7 दिनों में 700 किसान बीमार पड़ चुके हैं। किसान जुकाम, खांसी और तेज बुखार की चपेट में आ चुके हैं। आपको बता दें कि बीमार पड़े किसानों में से 80 फीसद किसान बुजुर्ग हैं।

धरना स्थल पर लगे स्वास्थ्य शिविर से चिंताजनक स्तिथि सामने आई है। लगातार बीमार पड़ रहे किसानों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। 7 दिसंबर से हरियाणा सरकार द्वारा दिए गए आदेशों का निर्वाह करते हुए आंदोलन में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया है।

किसी भी तरीके की हलकी बिमारी के लिए अगर चिकित्सक की जरूरत पड़ती है तो उसका इलाज आंदोलन में लगे स्वास्थ्य कैंप में करा दिया जाता है। पर अगर कोई भी व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ता है तो उसे पास में बने अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है।

स्वास्थ्य शिविर के महकमे से खबर सामने आई है कि कोई भी किसान अभी गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ा। पर स्वास्थ्य केंद्र अधिकारियों का कहना है कि रोज 100 से ज्यादा किसान बीमार पड़ रहे हैं। रोज किसी न किसी किसान को स्वास्थ्य सम्बंधित परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

साथ ही साथ स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शन में मौजूद किसान महामारी के संक्रमण की जांच नहीं करवा रहे। जब कोई भी बीमार किसान इलाज के लिए आता है और उसे जांच करवाने ही हिदायत दी जाती है तब वह किसान फट से मना कर देते हैं। ऐसे में मेडिकल टीम और खुद आंदोलन में बैठे किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

Avinash Kumar Singh

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