सूरजकुंड मेले के मैदान के पीछे दफ़न है दिल दहला देने वाला राज, पत्थरों में गढ़ी हुई है कहानियां

फरीदाबाद के सूरजकुंड से हर कोई भली भाति अवगत है, हर कोई जानता है कि कैसे सूरजकुंड मेले की रौनक क्षेत्र के मिजाज में चार चाँद लगा देती है। सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले के रंगो का हर कोई दीवाना हो जाता है। पर कम ही लोग जानते हैं कि सूरजकुंड मेले से गहरा इतिहास मेले के मैदान के पीछे छिपा है। सूरजकुंड या सूर्य पुष्कर्णी वास्तव में एक जलाशय है।

इस जलाशय के पास एक छोटी सी नदी से जोड़ा गया है, जो कुछ किलोमीटर आगे जाकर अनंग बांध से जुड़ती है। इन सबका निर्माण कुछ इस अंदाज में किया गया है कि नदी के पानी की मात्रा का इजाफा हो जाए। इसके अतिरिक्त यह जलाशय बारिश के समय अपने चारों ओर के अरावली पर्वतों से आने वाले पानी का भी संचयन कर सकता है।

सूरजकुंड मेले के मैदान के पीछे दफ़न है दिल दहला देने वाला राज, पत्थरों में गढ़ी हुई है कहानियां

फिलहाल यह पूरा कुंड सूखा हुआ है पर्यावरण में चल रहे उपद्रव के चलते पानी सूख चुका है। सूरजकुंड जलाशय के चारो ओर बड़ी बड़ी सीढ़ियां हैं जिनसे नीचे उतर कर जलाशय तक पहुंचा जा सकता है।

इस कुंड को सूरजकुंड नाम देने के पीछे बहुत गहरा इतिहास जुड़ा हुआ है। पहला तोमर कुल, जिनके द्वारा 10वी शताब्दी में इस कुंड का निर्माण करवाया गया था। आपको बता दें कि तोमर कुल के लोग भगवान सूर्य के बहुत बड़े उपासक हुआ करते थे।

कुंड का नाम सूरजकुंड नाम रखने के पीछे दूसरी बड़ी मान्यता यह है कि तोमर कुल के एक राजा का नाम सूरज पाल था। कहा जाता है कि उन्ही के नाम को आधार बनाकर सूरजकुंड का नाम चयनित किया गया। कहा जाता है कि जिस स्थान पर फिलहाल सूरजकुंड स्थित है वहां पर पहले तोमर कुल के राजाओं की राजधानी हुआ करती थी।

बाद में उनके द्वारा राजधानी लालकोट में स्थानांतरित कर दी गयी थी। जिसके पीछे आज कुतुब मीनार स्थित है। कहते हैं कि, इस जलाशय के पश्चिमी छोर पर पहले सूर्य मंदिर हुआ करता था जिसके कोई निशान फिलहाल वहां नहीं मिलते। इस संबंध में स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर के अवशेषों का प्रयोग यह जलाशय बांधने में किया गया था।

लेकिन आस-पास देखने पर किसी प्रकार के कोई भी अवशेष नहीं मिले जो इस मंदिर के अस्तित्व की कथा को बखान करते हो। लेकिन वहां पर कुछ पत्थर जरूर हैं, जिन पर किसी खेल के तख्ते के नक्शे जैसे बने हुए हैं। पर उन्हें 10वी शताब्दी में निर्मित मंदिर के अवशेष मानना थोड़ा कठिन होगा।

Avinash Kumar Singh

Recent Posts

एचिस्टा 2K24: संगीत, कला और प्रतियोगिता से भरपूर दूसरा दिन

ऐशलॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, फरीदाबाद में आयोजित वार्षिक तकनीकी-सांस्कृतिक-खेल उत्सव, एचिस्टा 2K24 का दूसरा दिन…

4 days ago

एचिस्टा 2K24: ऐशलॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में नवाचार, संस्कृति और रचनात्मकता का शानदार समापन

एचिस्टा 2K24 का भव्य समापन ऐशलॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हुआ, जो तीन दिनों की…

4 days ago

ऐशलॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, फरीदाबाद का ECHIESTA 2K24 उद्घाटन समारोह: एक शानदार शुरुआत

फरीदाबाद के ऐशलॉन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में तीन दिवसीय "ECHIESTA  2K24" का आज उद्घाटन हुआ।…

1 week ago

IMT मेंं पांच दिन करेंगे सिहोर वाले प्रदीप मिश्रा भगवान शिव का गुणगान,सजा पंडाल

बल्लबगढ़ स्थित सेक्टर-66 आईएमटी फरीदाबाद में लगभग 80 एकड़ में होने वाली पांच दिवसीय शिव…

3 weeks ago

केंद्रीय विद्यालय संगठन ने आयोजित किया ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता

विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु दृढ़ संकल्प को मन,वचन व कर्म से निभाते हुए विभिन्न…

2 months ago

भाजपा को पूरी ताकत से लाओ, क्षेत्र की तस्वीर बदलने का काम मेरा : ओल्ड फरीदाबाद विधानसभा प्रत्याशी विपुल गोयल

भारतीय जनता पार्टी के फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री विपुल गोयल ने…

2 months ago