गुलाबी सर्दी आते ही मिट्ठे में सबसे ज्यादा अगर कोई चीज खाने का मन करता तो वह है गाजर का हलवा ।।यह समय है बुआई का ,इस दौरान किसानों द्वारा कई अलग अलग प्रकार की खेती की जाती है । लेकिन खेती करने वाले किसान आंदोलन पर उतर आए है ।तो अब सवाल उठता है कि खेती कौन करेगा??
गाजर की फसल की बुआई करने वाले किसानों को अब अपनी फसल को लेकर भय सताने लगा है। इन दिनों में ग्रामीण अंचल में फरीदाबाद के अलावा दिल्ली के व्यापारी फसल की खरीदारी करने लिए पहुंच जाते थे, लेकिन इस बार नहीं पहुुंचे हैं। इसका असर किसान आंदोलन से जोड़कर देख रहे हैं। गाजर की फसल की बुआई करने वाले किसानों का कहना है कि देहात में इन दिनों दिल्ली व फरीदाबाद के व्यापारी आ जाते थे।
इससे किसानों को खड़ी फसल के अच्छे दाम मिल जाते थे। इसमें किसान का कोई जोखिम नहीं होता, उसको केवल फसल की देखरेख करनी होती है। व्यापारी मंडी के हिसाब से अपनी इच्छानुसार गाजर की फसल को खेत से ही ले जाता था। इसमें किसान को फसल उखाड़ने व धोने के लिए भी परेशान नहीं होना पड़ता था। खेत में खड़े ही फसल बिक जाती थी और पैसा भी अच्छा मिलता है। इस बार व्यापारी किसानों के पास पहुंच ही नहीं पा रहा है। ऐसे में किसान मान रहे हैं कि किसान आंदोलन के चलते व्यापारी नहीं आ रहे हैं।
नहीं आएंगे व्यापारी तो होगी परेशानी पिछले साल करीब छह एकड़ जमीन को पट्टे पर लेकर गाजर की फसल की बुआई की थी। इसमें कई लाख का मुनाफा हुआ। इस साल फिर से गाजर की फसल की बुआई की है, लेकिन इस बार दिल्ली के व्यापारी नहीं आ रहे हैं। इससे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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