हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल का मामलों दशकोंं से लटका पड़ा था। भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही इस मामलें को समय से पहले सुनने की याचिका लगाई जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा केहक मेंं फैसला दिया।
दोनों प्रदेशोंं के मुख्यमंत्री को बैठकर फैसला करने को कहा था लेकिन पंजाब हमारा हक देने को राजी नहीं हुआ अब सुप्रीम कोर्ट कभी भी अंतिम फैसला सुनाएगा और हमें अपना हक मिलेगा। लोकातंत्रिक देश में राज्योंं की मनमानी नहींं चल सकती।
एसवाईएल पर पंजाब को अपनी हठ छोडऩी होगी। मुख्यमंत्री रविवार को स्थानीय आईटीआई मैदान में जल अधिकार रैली को संबोधित कर रहे थे।
सीएम ने कहा कि प्रजातंत्र मेंं विरोध करने का एक तरीका होता है। सदन व मीडिया के समक्ष या लोकतांत्रिक ढंग से सभा करके विरोध कर सकते हैं। धींगामस्ती करना किसी भी सूरत मेंं सही नहींं है। अगर ऐसा होता है तो वह डा. भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान के अनुसार नहीं है।
उन्होंने कहा कि एमएसपी पर कोई आंच आए तो उससे पहले वे राजनीति छोड़ देंगे। सरकार नए कृषि कानूनों केमाध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी से ऊपर की बात सोच रही है। एमएसपी कभी खत्म नहींं होगा। एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा। इस प्रकार मंडिया भी रहेंगी।
कुछ लोग राजनीतिक से प्रेरित होकर आंदोलन कर रहे हैं वे किसान हितैषी नहींं है। बार्डर पर बैठे पंजाब के किसान भाइयोंं से हमें एसवाईएल के पानी की बात रखनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि तीनों नए कृषि कानून किसानों के हित के लिए हैं। इससे किसानोंं को बंधन से मुक्ति मिलेगी।
सरकार मंडी में किसानों की फसल एमएसपी पर खरीदेगी लेकिन अगर किसान बाहर उससे अच्छे दाम में बेचना चाहेगा तो उसे आजादी दी गई है। इसके अलावा इस नए कानूनों में भंडारण की व्यवस्था सुधारने की बात की गई है। सरकार ने इसी सुधार प्रक्रिया के तहत प्रदेश की 104 मंडियों में से 88 मंडियोंं को ऑनलाइन किया है।
उन्होंने कहा कि सही भंडारण न होने से हर वर्ष देश में 30 हजार करोड़ का अनाज का नुकसान होता है। हरियाणा प्रदेश में भी 700 करोड़ रूपए का अनाज खराब हो जाता है। सरकार इस अनाज को बचाने के लिए ये प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के सच्चे हितैषी हैं। देश में भंडारण सुधार व बिक्री सुधार की सख्त आवश्यक है। इसी की पूर्ति के लिए सरकार ये कानून बनाए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्षी पार्टियां किसानों को बहकाने का प्रयास कर रही हैं जिसमेंं वे कभी सफल नहींं होंगे। वो नहीं चाहते कि किसानोंं की आमदनी बढ़े और वे अपने बच्चों का अच्छी तरह से पालन पोषण करें। उन्होंने कहा कि 2010 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्ïडा की अध्यक्षता कांग्रेस सरकार ने एक कमेटी बनाई थी।
उसमें उन्होंने एपीएमसी एक्ट मेंं सुधार की वकालत की थी लेकिन आज यही विपक्षी पार्टियां लोगों को बरगलाकर बार्डर बंद करके बैठे हैं। सीएम ने कहा कि प्रदेश के किसानोंं के हित मेंं हमने एक नई माइक्रो इरीगेशन योजना शुरू की है। इसके तहत जिन खेतोंं मेंं अब तक पानी नहींं पहुंचा है वहां पर पानी पहुंचाएंगे।
वहां के किसानोंं को 80 फीसदी सब्सिडी पर सिंचाई यंत्र देंगे। उन्होंने कहा कि अब एक जनवरी से सिंचाई की एक साथ 25 एकड़ की योजना बनाकर लाएगा तो उसे किसी न किसी तरीके से पानी से भरने का प्रबंध सरकार करेगी। इस योजना के तहत भिवानी-दादरी और महेंद्रगढ़ जिला को शामिल किया है।
उन्होंने कहा कि हमने सरकार बनते ही उपलब्ध पानी का समान बंटवारा करके टेल तक पानी पहुंचाया है।
दक्षिणी हरियाणा की कृष्णावती, दोहान व साहबी नदियों में बारिश का फालतू पानी छोड़कर यहां भूमि जल स्तर को ऊंचा उठाने के लिए 2 हजार करोड़ रुपए की योजना बनाई है। इसी प्रकार सरकार ने रेणुका-किसाऊ बांध का एमओयू हो चुका है और जल्द ही रखवार बांध का एमओयू साइन होगा। इस कार्य को तय समय मेंं पूरा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानोंं को धान की खेती छोडऩे का आह्ïवान किया था जिसके फलस्वरूप पिछले साल किसानोंं ने 80 हजार एकड़ कम जमीन पर धान लगाया। इससे बहुत सारा पानी बचा है। इस पानी को जहां जरूरत है वहां दिया जाएगा।
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