वो कहते हैं ना बहती नदी में हाथ धोना। बड़ी पुरानी कहावत है लेकिन इसका ताजा उदाहरण आपको किसान आंदोलन में जोरों शोरों से देखने को मिलेगा। दरअसल, जहां इन दिनों सैकड़ों किसानों द्वारा केंद्र सरकार और उनके द्वारा पारित किए गए कृषि कानून बिल का विरोध किया जा रहा है।
वहीं विपक्षी द्वारा किसानों का हमदर्द बनने में अहम भूमिका अदा की जा रही है। ऐसे में अब यह आंदोलन राजनीतिक रंग में बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल, जहां पंजाब में 1 साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं वहीं हरियाणा में 2 माह बाद पंचायत के चुनाव होने हैं।
ऐसे में किसानों की याद भला किसको नहीं आती। तो अब क्या था फिर ऐसे में इस आंदोलन का फायदा उठाने के लिए पंजाब से विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक कई नेता ट्रक भरकर कंबल, चद्दर, गर्म कपड़े और राशन आदि लाकर आंदोलन स्थल में वितरित कर रहे हैं।
वही जो पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक कैंडिडेट हैं वह बड़ा तो कुछ कर नहीं पा रहा है लेकिन हां कोई सूखे मेवे तो कोई फल व मूंगफली लेकर किसान आंदोलन वाले स्थान का रुख कर रहा है। वहीं हरियाणा के कई नेताओं ने तो हाथ जोड़कर पोस्टर भी आंदोलन स्थल पर लगा दिए हैं।
आंदोलन में एक नजारा देखने को मिला जहां मंच का कार्यक्रम सिमिटने की ओर था तो, वहीं पंजाब से 3 महंगी गाड़ियों में चादर भर कर एक नेता वहां पहुंच गया। जिसे देख कर लोगों की भीड़ जमा हो गई।
नेता पास में खड़ा रहा और उसके साथियों ने गाड़ियों को वहां से चलाते हुए 5 किलोमीटर में गाड़ी घुमाते हुए चद्दरों को बांटाना शुरू किया। आपको बता दें कि उक्त व्यक्ति का ध्यान चद्दर बांटने की जगह लोगों से मिलने पर ज्यादा था।
वही किसानों से मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने बताया कि वह लोग सब जानते हैं कि यह कर कौन रहा है और क्यों ऐसा किया जा रहा है। किसान बोले कि अगर यह लोग सोचते हैं कि एक साल बाद होने वाले चुनाव में हम उन्हें वोट देंगे तो यह उनकी गलतफहमी के अलावा और कुछ नहीं होगा।
सुबह सुबह मीटिंग स्थल पर पहुंचे तो एक ट्रक के पीछे लंबी भीड़ चल रही थी। आगे जाकर देखा तो ट्रक कंबलों से भरा हुआ था। यह देखकर कंबल बांटे जा रहे थे कि कौन किसान पंजाब का है और कौन हरियाणा से आया है।
इतना ही नहीं आगे देखा गया कि हरियाणा के कुछ युवा सेब की पेटियां लेकर पहुंचे और केवल वहीं गाड़ी रोक रहे थे, जहां हरियाणा के किसानों के टेंट लगे थे। वहां जाकर किसानों के पास सेब की पेटियां रख रहे थे। जानकारी जुटाने पर पता चला कि जनाब तो जिला परिषद चेयरमैनी का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
हरियाणा के कुछ छोटे नेताओं ने तो आंदोलन स्थल के आसपास हाथ जोड़कर पोस्टर लगा दिए हैं। जिन पर लिखा है- अन्नदाता का सिर नहीं झुकने दूंगा। वही कुछ अन्य ने बैनर लगाए हैं कि किसान भाइयों के लिए नहाने वाले पानी की उचित व्यवस्था यहां उपलब्ध है।
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