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नहीं निकला कोई समाधान तो किसानों ने एक बार फिर किया भारत में टोल फ्री का ऐलान

25 दिन होने को है और किसान आंदोलन आज भी दिल्ली बॉर्डर पर ही जमा हुआ है। लगभग एक महीना पूरा होने को है और बावजूद परिणाम है कि सिर्फ शून्य ही दिखाई दे रहा है। इसके अलावा और कुछ नहीं। जहां पहले किसान आंदोलन व देश बन्द कर चुके थे।

अब किसानों ने एक बार फैसला किया है कि वह देश भर में टोल फ्री करेंगे। इतना ही नहीं आज से उन्होंने हर धरने पर 24 घंटे का क्रमिक अनशन रखने का भी मन बना लिया है। जानकारी के मुताबिक 25 से 27 दिसंबर के बीच यानी कि 3 दिन के लिए हरियाणा के सारे टोल फ्री करवाए जाएंगे।

नहीं निकला कोई समाधान तो किसानों ने एक बार फिर किया भारत में टोल फ्री का ऐलान

किसान नेता राकेश टिकैत, शिवकुमार काका, जगजीत सिंह, योगेंद्र यादव और दर्शनपाल आदि ने बताया कि आंदोलन के चौथे चरण में सोमवार से 4 नए निर्णय लिए हैं। इसके तहत सोमवार से सभी धरनास्थलों पर किसान 11-11 की संख्या में क्रमिक अनशन शुरू करेंगे।

यह 24 घंटे की पूर्ण हंगर स्ट्राइक होगी। इसमें अगले दिन दूसरे जत्थेबंदियों से लोग बैठेंगे। इसी तरह जो लोग विदेश में देश के दूसरे हिस्से में आंदोलन को लेकर समर्थन कर रहे हैं, वह अपनी सुविधा के अनुसार संख्या तय कर सकते हैं।

वहीं जब 27 दिसंबर को देश के प्रधानमंत्री पीएम नरेंद्र मोदी मन की बात करेंगे तो इसका विरोध प्रदर्शन किसानों द्वारा किया जाएगा जिसके लिए वह थाली बजाकर अपने अपने आक्रोश को प्रकट करेंगे। उधर आयकर विभाग के छापों को किसानों द्वारा सरकार की ओछी हरकत का नाम दिया जा रहा है।

23 दिसंबर को किसानों ने स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह जयंती पर अब अन्नदाता दिवस मनाने का फैसला लिया है। इस दिवस के अवसर पर देश भर के लोग और विदेश में रहने वाले भारतीयों से एक समय का भोजन त्यागने की अपील की जाएगी।

इसके अलावा किसान नेताओं ने एनडीए के घटक दलों के प्रमुख को ज्ञापन सौंपने के लिए 26 सितंबर का दिन चयनित किया है। इस दिन में वह मांग करेंगे की कानून रद्द करवाया जाए और किसानों के समर्थन के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा सके। अगर ऐसा नहीं होता है किसान संगठन दलों का भी बहिष्कार कर सकते हैं।

किसान पहले ही सरकार को चेता रहे हैं कि आंदोलन के समर्थकों पर ईडी और आयकर की छापेमारी बंद करवा दी जाए। किसानों का कहना है कि यह बदले के लिए हीन भावना के रूप में कार्यवाही की जा रही है जो किसानों की निंदा है और कुछ नहीं। इससे पहले किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा की बैठक कुंडली बार्डर पर हुई। कई घंटे की माथापच्ची के बाद आंदोलन की अगली रणनीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया।

deepika gaur

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