कानपुर : 3000 करोड़ रुपए के डिफॉल्टर समूह रोटोमैक का वजूद आखिरकार खत्म हो गया। रोटोमैक का ब्रांड नेम भी साढ़े तीन करोड़ में नीलाम हो गया। इसी के साथ इंटरनेट की दुनिया में इसके अस्तित्व का अंत हो गया।
पांच साल पहले विक्रम कोठारी के स्वामित्व वाले रोटोमैक का नाम कारोबारी जगत में ध्रुव तारे की तरह जगमगाता था। इसके नाम की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एफएमसीजी बाजार में रोटोमैक नाम की ब्रांड वैल्यू 600 करोड़ रुपए से ज्यादा थी लेकिन तीस हजार करोड़ के डिफॉल्टर होने के बाद नाम पानी में चला गया।
एक तरफ कानपुर के तिलक नगर स्थित बंगले संतुष्टि पर बैंक ऑफ इंडिया ने कब्जा जमा लिया है तो दूसरी तरफ ब्रांड नेम पर बैंकों के कंसोर्टियम का आधिपत्य है। बैंक बंगले को नीलाम करने की तैयारी में है। 2902 वर्ग फिट में फैले इस बंगले की कीमत 40 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। वहीं रोटोमैक का ब्रांड नेम 3.5 करोड़ में बिक गया। यानी पांच साल में नाम की कीमत 99.5 फीसदी घट गई।
अब कोई भी कर सकता है रोटोमैक के नाम का इस्तेमाल ट्रेडमार्क के रूप में
रोटोमैक का ग्लोबल राइट और नाम एक दर्जन कंपनियों ने अलग-अलग लिए हैं। यानी अब कोई भी रोटोमैक के नाम का इस्तेमाल ट्रेडमार्क के रूप में कर सकता है।
ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोठारी के स्वामित्व वाली रोटोमेक ग्लोबल की 177 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर ली है। वित्तीय जांच एजेंसी के मुताबिक कंपनी और उसके निदेशक की जब्त संपत्तियां कानपुर, गुजरात के अहमदाबाद और गांधीनगर, उत्तराखंड के देहरादून और महाराष्ट्र के मुंबई में हैं।
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