कृषि कानूनों पर किसानों का विरोध थमने का नाम ही नहीं ले रहा। एक ओर जहाँ सरकार किसानों को मानाने, समझाने-बिझाने का हर संभव प्रयास कर रही है वहीँ दूसरी ओर किसानों का प्रदर्शन और भी उग्र होता जा रहा है। किसानों का मानना है कि सरकार द्वारा पारित किये गए कृषि अध्यादेश किसानों का हित सोच कर के नहीं बल्कि बड़े-बड़े उद्योगपतियों के फायदे का फरमान है।
किसानों ने दिल्ली पहुंचने वाले सभी बॉर्डर किसानों ने सील कर दिए हैं। जिनमें सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, और चिल्ला बॉर्डर पर किसानों ने डेरा जमा लिया है। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा किसानों के साथ बात-चीत करके मुद्दे को आपसी सहमति से सुलझाने की कोशिश तेज़ हो गयी है। किसानों ने सरकार के साथ 6 बार की वार्ता बेनतीजा रही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किसानों के नाम अपने सम्बोधन में किसानों को कृषि कानूनों को पढ़ने और उन्हें समझने की अपील की है। इसके बावजूद भी अब किसानों ने एक बार फिर अपना रुख स्पष्ट किया है कि जब तक कानून रद्द नहीं किए जाते वह वापस नहीं लौटेंगे। यूपी गेट पर आज फिर किसानों की भारी भीड़ जमा हो गई है। लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड से किसानों के जत्थे दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। किसानों ने दिल्ली से आने वाली लेन बंद करने के साथ ही एक्सप्रेस-वे की लिंक रोड भी रोक दी है।
किसानों के इस मुद्दे पर राजनीती भी जम कर हो रही है और नेता अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने की ताक में हैं। बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। भारतीय किसान यूनियन के बिंदर सिंह गोलेवाला ने बताया कि हमें यहां आज पूरा एक महीना हो गया है। सरकार इन कानूनों को रद्द कर दे और हम वापस चले जाएंगे।
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