आज लगभग 1 महीने से ज्यादा का समय हो गया है जब किसान अपने हक की लड़ाई लड़ते हुए दिसंबर के महीने की सर्द रातें दिल्ली की सीमाओं पर गुजारने के लिए मजबूर है। किसानों का मानना है कि सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि अध्यादेश किसानों के हित में नहीं बल्कि बड़े-बड़े अंबानी और अडानी जैसे पूंजीपतियों की जेब भरने वाले हैं और यही कारण है कि किसान इन तीनों बिल्लो की वापसी को लेकर केंद्र सरकार पर पूरा दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
बता दें कि अपने हक की लड़ाई में किसान अकेले नहीं है। किसानों को अनेकों सामाजिक संगठनों, छात्र यूनियन व राजनीतिक पार्टियों से खुला समर्थन भी प्राप्त हो रहा है। एक ओर जहां ठंड अपना सितंबर से आ रही है वहीं किसान हर परेशानी और परिस्थिति का डट के सामना कर रहे हैं। इतना ही नहीं किसान आंदोलन के बीच मस्ती भी खूब नजर आ रही है।
दिन में 15 किलोमीटर से ज्यादा एरिया में बहादुरगढ़ की सड़कों पर आंदोलनरत किसान कुछ बातों पर हंसी ठिठोली भी करते हैं और अनेक जगहों पर मस्ती भरे पल भी देखने को मिलते हैं। कहीं पर संगीत की धुन पर युवा झुमका नाचते हैं तो कहीं बुजुर्ग पुराने समय की कहानियां सुनाते हैं। इतना ही नहीं कहीं युवा किसान सुबह सुबह वॉलीबॉल खेलते हुए भी देखे जा सकते हैं।
इतना ही नहीं किसानों के मनोरंजन के लिए पंजाब के अलावा हरियाणा के कई जिलों के किसानों ने आंदोलन की एक तरह से ड्यूटी बांध रखी है। यह मंडल एक-एक करके अपनी बारी से आंदोलनरत किसानों का मनोरंजन करते हैं और उनका मनोबल बढ़ाते हैं।
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