हम भले ही 21वीं सदी में जी रहे हो लेकिन आज भी लोगों की मानसिकता वहीं पूरी है। पुराने जमाने में जहां नए साल वाले दिन कई ऐसे काम होते थे जो करते नहीं थे क्योंकि लोगों का मानना होता था कि अगर वह नए साल के पहले दिन किया तो पूरा साल करना पड़ेगा।
ऐसा ही कुछ आज फरीदाबाद में देखने को मिला। जहां लोगों की मानसिकता आज भी उन्हीं दक्लानुसी
बतों पर निर्भर है। जहां एक ओर पूरा शहर अपने परिजनों के साथ नए साल का जश्न मना रहा था। वहीं दूसरी ओर नए साल के दिन बीमार होने के बाद भी मरीज उपचार के लिए नहीं आए। क्योंकि लोगों की आज भी मानसिकता यहीं है कि अगर वह नए साल के पहले दिन उपचार करवाने के लिए जा रहे है तो उनको पूरा साल उपचार करवाना होगा।

इसी वजह से शुक्रवार को बीके अस्पताल की ओपीडी खाली देखने को मिली। इसके अलावा इमरजेंसी में भी मरीजों की संख्या न के बराबर देखने को मिली। वहीं कोविद का टेस्ट करवाने वाला सेंटर पूरी तरह से खाली था।
ओपीडी खाली होने की वजह से शुक्रवार को डाॅक्टर खाली बैठे हुए नजर आए। डाॅक्टरों का कहना है कि लोगों की मानसिकता है कि नए साल वाले दिन अगर वह दवाई लेने के लिए आते है तो उनको पूरा साल दवाईयां खानी पड़ेगी। इसी वजह से आज मरीजों की संख्या न के बराबर है। वहीं इमरजेंसी में तैनात स्टाॅफ नर्स का कहना है कि नए साल वाले दिन कोई भी गंभीर मरीज नहीं आया है। उनकी इमरजेंसी में पहले से भर्ती मरीज ही मौजूद है।
इसके अलावा महामारी का संक्रमण कम होने की वजह से लोगों ने कोविद टेस्ट करवाना कम कर दिया है। लेकिन नए साल के दिन कोविद टेस्ट कवाने के लिए काफी कम लोग आए है। पहले यह संख्या 100 के करीब थी लेकिन अब 30 से 40 रहे गई है। वहीं कुछ डाॅक्टरों का कहना है कि नए साल के दिन मरीज समझते है कि बीके अस्पताल की छुट्टी होगी। इसी वजह से नहीं आए है।
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