वर्ल्ड ब्रेल डे पूरे विश्व में 4 जनवरी को मनाया जाता हैं ,यह दिन सबसे पहली बार 2019 में मनाया गया था। ब्रेल एक स्पर्शपूर्ण लेखन प्रणाली हैं,आँखो से दिव्यांग रूप से देखे गए लोगों के जीवन में मानवाधिकारों की पूर्ण प्राप्ति में ब्रेल कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं की जागरूकता के लिए मनाया जाता हैं।
पुरे विश्व में एक अरब लोग विकलांग हैं जिन्हे स्वास्थ्य देखभाल,शिक्षा और रोजगार के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।इसी परेशानी से लोगो को निजात दिलाने के लिए लुइस ब्रेल ने ब्रेल सिस्टम की शुरुआत करी थी। लुइस ब्रेल ने 3 वर्ष की आयु में ही अपनी दोनों आँखों को एक हादसे में खो दिया था, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने 6 डॉट्स ब्रेल लैंग्वेज का आविष्कार किया।
लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 में फ्रांस के छोटे से ग्राम कुप्रे में हुआ था। लुइस जन्म से ही दिव्यांग नहीं थे लेकिन जब वह 3 वर्ष के हुए तो उन्हें एक हादसे में अपनी दोनों आँखों को खोना पड़ा। लुइस ने हार नहीं मानी, उनमे संसार से लड़ने की इछाशक्ति प्रबल थी जिसने उन्हें फा्रंस के मशहूर पादरी बैलेन्टाइन की शरण में जा पहुंचाया।
पादरी बैलेन्टाइन के प्रयासों ने 10 वर्ष की उम्र में ही लुइस को “रायल इन्स्टीट्यूट फार ब्लाइन्डस् ” में दाखिला दिलाया।ब्रेल एक अच्छे छात्र थे, खासकर जब विज्ञान और संगीत की बात आती थी। बाद में वह एक चर्च आयोजक बने और उसके साथ ही नेत्रहीन युवा संस्थान में एक शिक्षक भी रहे।
लुइस ने एक ऐसे लिपि का आविष्कार किया जिससे दिव्यांग लोगो को भी शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिल सका। लुइस ने इस लिपि का आविष्कार किया था इसलिए इस लिपि का नाम ब्रेल सिस्टम रखा गया और उनके जन्म दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देने और उन्हें याद करने के लिए 4 जनवरी को वर्ल्ड ब्रेल डे मनाया जाने लगा।
ब्रेल एक स्पर्शशील लेखन प्रणाली है, जो प्रत्येक वर्णमाला और संख्या का प्रतिनिधित्व करने के लिए छह डॉट्स का उपयोग करती है। डॉट्स भी संगीत, गणितीय और वैज्ञानिक प्रतीकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस सिस्टम का उपयोगआँखो से दिव्यांग या आंशिक रूप से देखे जाने वाले लोगों द्वारा पढ़ने और लिखने के लिए किया जाता है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार विश्व स्तर पर लगभग 36 मिलियन लोग आँखो से दिव्यांग और लगभग 216 मिलियन लोगों में गंभीर दृश्य विकलांग है,जिन्हें गरीबी, असमानता, खराब स्वास्थ्य का सामना करने और उचित शिक्षा और रोजगार प्राप्त करने के लिए बाधाओं का सामना करने की संभावना अधिक होती है।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए जिले में भी नेशनल एसोसिएशन ब्लाइंड स्कूल बनाया गया हैं।यह स्कूल अप्रैल 2009 में शुरू किया गया था ,विद्यालय में छात्रों को शिक्षा व रोजगार के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा दि जाती हैं। यहाँ बच्चो को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच भी दिया जाता हैं जिससे उनमे आत्मविश्वास बढ़ता हैं।
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