बचपन हम सब के जीवनकाल का एक स्वर्णिम क्षण हैं,जहां हमें किसी भी बात का कोई तनाव नही होता। हम अपनी ज़िंदगी का यह पल बड़े आराम से और खुशी से व्यतीत करते हैं। वहीं दूसरी ओर लाखों बच्चे बीमारी, गरीबी, युद्ध और अन्य संघर्षों के कारण अपने बचपन को अच्छे से व्यतीत नहीं कर पाते हैं।
वार ऑर्फ़न्स डे 6 जनवरी को विश्व स्तर पर हर वर्ष मनाया जाता हैं। यह दिन एक बड़ा महत्व रखता है क्योंकि इसका उद्देश्य एक कमजोर समूह की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
यह दिन उन बच्चों को संबोधित करना के लिए मनाया जाता हैं जिन्होंने युद्ध में अपने माँ बाप को खोया हो।
इस दिवस का उद्देश्य जागरूकता फैलाना और युद्ध के अनाथ या संघर्ष में बच्चों द्वारा सामना किए गए संकटों को दूर करना है। साथ ही अनाथालयों में बड़े होने वाले बच्चे अक्सर भावनात्मक और सामाजिक भेदभाव का सामना करते हैं। यह दुनिया भर में मानवीय और सामाजिक संकट बन गया है जो दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह दिन कई बच्चों के जीवन पर प्रकाश डालता है जो युद्ध के परिणामों से प्रभावित होते हैं और परिवारों के बिना रह जाते हैं और अपने बेहतर भविष्य के लिए कदम उठाते हैं।
यूनिसेफ के अनुसार, एक अनाथ वो है जो “18 वर्ष से कम उम्र का बच्चा है जिसने अपने माता-पिता को खो दिया हो।” एक रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध संगठन के लिए विश्व दिवस की शुरुआत फ्रांसीसी संगठन, एसओएस एनफैंट्स एन डिट्रेस द्वारा की गई थी।
कई देश जो युद्ध क्षेत्र बन गए हैं, वहाँ के नागरिकों बिना किसी विकल्प के युद्ध के कष्टों का सामना करना पड़ता हैं। जिन उपेक्षित बच्चों को बिना परिवारों के छोड़ दिया जाता है, वे युद्ध पीड़ितों में से एक होते हैं जो सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करते हैं क्योंकि उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता हैं।
अधिकांश अनाथ आमतौर पर एक जीवित रिश्तेदार के साथ रहते हैं, अक्सर उनके दादा दादी। हालांकि, कई ऐसे भी हैं जिनकी देखभाल करने वाला कोई रिश्तेदार नहीं है। ऐसे मामलों में, बच्चे के उपेक्षित होने की संभावना अधिक होती है।
यह संभव है कि कुपोषण जैसे कारक उनके शरीर को कमजोर कर सकते हैं और इससे उन्हें संक्रमण का खतरा भी ही सकता हैं। भावनात्मक आघात के अलावा, युद्ध क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को भी हिंसा का लक्ष्य बनाया जाता हैं और उन्हें चोट लगने की भी संभावना होती हैं। युद्धों से प्रभावित लगभग आधे नागरिक बच्चे हैं। अगर कोई अनाथ भाई-बहनों में सबसे बड़ा होता हैं तो उन्हें अपने छोटे भाई-बहनों की भी ज़िम्मेदारी लेनी होती हैं।
जो व्यक्ति इस दिन को चिह्नित करना चाहते हैं, वे युद्ध अनाथों को सुरक्षित रखने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैला सकते हैं और संघर्ष क्षेत्रों में रहने वाले बच्चो के कल्याण के लिए के लिए अपना योगदान कर सकते हैं।
ओम योग संस्थान ट्रस्ट, ओ३म् शिक्षा संस्कार सीनियर सेकेण्डरी स्कूल पाली , फ़रीदाबाद, हरियाणा, भारत…
ऐशलॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, फरीदाबाद में आयोजित वार्षिक तकनीकी-सांस्कृतिक-खेल उत्सव, एचिस्टा 2K24 का दूसरा दिन…
एचिस्टा 2K24 का भव्य समापन ऐशलॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हुआ, जो तीन दिनों की…
फरीदाबाद के ऐशलॉन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में तीन दिवसीय "ECHIESTA 2K24" का आज उद्घाटन हुआ।…
बल्लबगढ़ स्थित सेक्टर-66 आईएमटी फरीदाबाद में लगभग 80 एकड़ में होने वाली पांच दिवसीय शिव…
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु दृढ़ संकल्प को मन,वचन व कर्म से निभाते हुए विभिन्न…