एशियन अस्पताल ने किया फरीदाबाद का पहला कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट
सेक्टर 21 ए स्थित एशियन अस्पताल ने एक बार फिर फरीदाबाद में इतिहास रचा। अस्पताल की ओर से पहला कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट कर 29 वर्षिय युवक को नया जीवन दिया है।
29 साल के मयूर पाल पिछले 4 सालों से किडनी फैल होने के कारण डायलिसिस करा रहे थे। परिवार के किसी भी सदस्य की किडनी मैच न होने के कारण उनका किडनी ट्रांसप्लांट असंभव था। एशियन अस्पताल के किडनी डिजीज एंड ट्रांसप्लांट मेडिसिन विभाग के निदेशक डॉ रीतेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने जून 2020 को कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट के लिए मयूर का पंजीकरण नोटो ( नैशनल ऑर्गन एवं टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाईजेशन) के पास कराया था।
4 जनवरी 2021 को रात 9 बजे हमारे पास नोटो से फोन आया की गुडगांव के मेदांता अस्पताल में एक मरीज की ब्रेन डेड घोषित हुआ है और उनके परिवारजनों ने उनके अंग दान के लिए स्वकृति दी है। नोटो की लिस्ट में मरीज मयूरपाल का पहला नम्बर था। एक ही ब्लड ग्रुप होने के कारण उसे ब्रेन डेड मरीज की किडनी दी जा रही है। हमने उसी वक्त मयूरपाल के पिता को फोन कर इसकी सूचना दी और उन्हें तुरंत अस्पताल बुलाया। ताकि मयूर का किडनी ट्रांसप्लांट जल्द ही किया जा सके। 4 जनवरी की रात 11 बजे मयूर पाल की सभी जांच की गई और खून के सैंपल मैचिंग के लिए मेदांता अस्पताल भेजा गया । ताकि किडनी ट्रांसप्लांट के दौरान कोई दिक्कत न हो।
एशियन अस्पताल के वरिष्ठ यरोलॉजिस्ट एवं किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के हेड डॉ राजीव कुमार सेठिया ने बताया कि एशियन अस्पताल की किडनी ट्रांसप्लांट टीम तुरंत हरकत में आई और मेदांता अस्पताल के डॉक्टरों के साथ संपर्क करते हुए एशियन अस्पताल की किडनी ट्रांसप्लांट टीम से डॉ आकिब हमीद को एम्बुलेंस के साथ रात 2 बजे गुडगांव के मेदांता अस्पताल भेजा गया और इस दौरान एशियन अस्पताल में ऑपरेशन की समस्त तैयारियां की गयी।
डॉ आकिब सुबह 6 बजे सुरक्षित तरह से किडनी एशियन अस्पताल लेकर आए जांच के उपरांत किडनी ट्रांसप्लांट की जटिल प्रक्रिया शुरू की गयी। जोकि लगभग 2 घंटे चला और मयूर की नई किडनी ने कुछ ही समय में काम करना शुरू कर दिया है ।
एशियन अस्पताल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ एन के पांडेय ने कहा कि मुझे खुशी है कि हमारे डॉक्टरों ने कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट करके एक युवा को नई जिंदगी दी। वह अपनी पूरी टीम को बधाई देता है। इसके साथ वह उम्मीद करता है कि ओर भी लोग अंगदान का प्रण लें, जिससे किसी जरुरत मंद को नयी जिंदगी मिल सके। मयूरपाल के पिता ने अस्पताल और डॉ रीतेश शर्मा , डॉ राजीव कुमार सेठिया और उनकी टीम को उनके बेटे की जान बचाने और उसे नयी जिंदगी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया।
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