दही खाना किसको पसंद नहीं होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं, 21वीं सदी में भारत में एक ऐसा पत्थर पाया जाता है जिसे यदि आप दूध के बर्तन में डाल दें तो वह दूध, दही बन जाता है। हम अक्सर देखते है कि दुध से दही जमाने के लिए काफी वक्त लगता है। पहले तो दुध को गर्म करना पड़ता है फिर उसको ठंडा करना पड़ता है। आखिर में उसने छाछ या दही व कुछ कट्ठा प्रदार्थ डाला जाता है।
इस पत्थर के कारण बने दही में, जामन या दूसरी आम प्रचलित प्रक्रिया से बने दही से ज्यादा स्वाद होता है। अमूमन दही को जमाने के लिए करीब 10 घंटे उसको रखना पड़ता है फिर जाकर लोगों को दही नसीब होता है। लेकिन एक ऐसे पत्थर के बारे में आपको पता चलेगा जिसको दुध के पास में ही रखने से दही जम जाता है।
ये रोजमरा का काम है शायद आप भी करते होंगे कि दही जामने के लिए इधर-उधर कटोरी लेकर थोड़ी दही मिल जाए तो जमाने के लिए। आपको बता दें, ये पत्थर राजस्थान के जैसलेमैर में पाया जाता है। सबसे बड़ी बात है कि इस पत्थर पर की रिसर्च हो चुके है। इस पत्थर को लेने के लिए लोग दुर दुर से यहां पर आते है।
इस पत्थर को ‘हाबुर का पत्थर’ बोलते है। दुनिया भर में इस पत्थर की ना केवल चर्चा होती है बल्कि सप्लाई भी होती है। यह एक विशेष प्रकार का पत्थर है। मुगल बादशाह हो द्वारा लिखवाए गए इतिहास में इसे हाबूर पत्थर के नाम से पुकारा गया था। स्थानीय भाषा में हाबूरिया भाटा कहा जाता है।
जैसलमेर खासा पत्थरों के लिए काफी प्रसिद्ध है। पीले पत्थर, जो चमकदार सोने के जैसे दिखते हैं दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं, लेकिन हाबूर गांव या पूनमनगर का पत्थर अपने आपनी कई बड़ी खूबियों के लिए जाना जाता है। हाबूर पत्थर को जब विदेशी पर्यटक अपने साथ ले गए और यह पत्थर चर्चा का केंद्र बना तो वैज्ञानिकों ने अपनी लैब में पत्थर की जांच की।
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