प्लस व माइन्स, मंडे व फ्राइडे, लड्डू खिलाने की तैयारी की जाए। आप लोग सोच रहे होंगें यह कौन सी भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। इन भाषा का क्या मतलब है। तो हम आपको बता देते है कि यह एक प्रकार का कोड है जिनका प्रयोग किया जाता है। अब आप लोगसोच रहे होंगें कि यह कोड कहा पर प्रयोग होते है तो आइए हम बताते है कि इस कोड वाली भाषा का प्रयोग भ्रूण लिंग जांच करने के बाद रिपोर्ट के तौर पर बताई जाती है।
बुधवार को जिले की स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एक बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की है। विभाग की टीम के द्वारा इंटर स्टेट भ्रूण लिंग जांच के रैकेट का पर्दाफाश किया गया है। जिसमें उनको पता चला कि जांच करने के बाद रिपोर्ट बताने के लिए कोड का इस्तेमाल करते है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खेड़ीकलां के एसएमओ डाॅक्टर हरजिंदर सिंह ने बताया कि इस रैकेट को पकड़ने के लिए उनकी टीम को काफी परेशानी का सामना करना पड़। क्योंकि यह रैकेट किसी ओर राज्य व जिले से जुड़ा हुआ था तो इसके लिए उनको उक्त राज्य व जिले के स्वास्थ्य विभाग व पुलिस से भी सहयोग की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस बार का जो रैकेट था वह यूपी के हापुड़ जिले में होने की वजह से उनको कुछ ज्यादा परेशानी हुई। उन्होंने बताया कि जब उनकी नकली ग्राहक भ्रूण जांच करवाने के बाद सीफा चैरेटेबल अस्पताल से बाहर आई तो उसके बाद किसी प्रकार की कोई रिपोर्ट नहीं थी। क्योंकि रैकेट चलाने वाले भ्रूण जांच करने के बाद उनको किसी प्रकार की रिपोर्ट नहीं देते है।
वह कोड के जरिए रिपोर्ट को बताते है। उन्होंने बताया कि उनका कोड कुछ इस प्रकार का होता है। जैसे मंडे और फ्राइडे अर्थात मंडे मतलब मेल और फ्राइडे मतलब फीमेल। इसके अलावा प्लस व माइन्स। प्लस का मतलब लड़का व मानन्स का मतलब लड़की होता है। कुछ जगहों पर भ्रूण जांच करने के बाद कहते है कि चलो लड्डू खिलाओं। लड्डू का मतलब लड़का होने वाला है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के कोड का इस्तेमाल करते है। हापुड़ वाले रैकेट में नकली ग्राहक को माइन्स कोड के जरिए रिपोर्ट बताई। मतलब ग्राहक के भ्रूण में लड़की है। उन्होंने बताया कि कोड का प्रयोग इस लिया किया जाता है क्योंकि कोई उन पर किसी प्रकार का शक ना कर सकें।
डाॅक्टर हरजिंदर ने बताया कि रैकेट के दौरान उनकी डील 60 हजार रूपये में भ्रूण लिंग जांच करवाने की हुई थी। उन्होंने बताया किसभी पैसे सुनिता नाम की महिला को ण्ज्जर बादली में ही दे दिए थे। जिसके बाद उसने अपने हिस्से का पैसा निकाल कर बाकी के पैसे अगले वाले व्यक्ति को दे दिए। इस प्रकार सभी व्यक्तियों ने अपना हिस्सा पैसों में से निकालने के बाद अगले व्यक्ति को फाॅरवर्ड कर देते है। जिससे की पैसे भी सभी व्यक्ति को काम के दौरान समय पर मिल सकें। इसी वजह से उनको रैकेट का पर्दाफाश करने के बाद पैसों की रिकवरी करने में परेशानी हुई। उन्होंने बताया कि कुछ पैसों को रिकवर कर लिया है और अभी कुछ बाकी है। एफआईआर दर्ज करवा दी है। आगे की कार्यवाही बादली पुलिस के द्वारा की जाएगी।
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