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चिलचिलाती धूप में सर पर बोझा लिए सफर तय करने के लिए मजदूर हुए रवाना

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चिलचिलाती धूप में सर पर बोझा लिए मिलो का सफर तय करने के लिए सैकड़ों मजदूर हुए रवाना :- जितना प्रभावित कोरोना वायरस का कहर इन दिनों देश भार में दाखिल हो चुका है, वहीं चिलचिलाती धूप से घर से निकलना तो दूर अपने दरवाजे से बाहर झांकना भी मुश्किल हो गया है लेकिन ऐसे में जिनके सर पर छत नहीं है वो लोग अपने अपने घर जाने तो विचलित है।

लेकिन सरकार से उन्हें कोई राहत मिलेगी यह बात उनके मन से निकल चुकी हैं। लॉक डाउन में बेरोजगारी और भुखमरी का सामना करते करते इस कदर हताश हो चुके है मजदूर कि उन्होंने अब जैसे – तैसे अपने घर जाने का मन बना लिया।

चाहे उनका यह सफर कितने मिलो का क्यों ना हो प्रवासी अपना सफर पैदल ही तय करेंगे। उक्त दृश्य एनएच -2 फरीदाबाद बदरपुर बॉर्डर के नजदीक का है जहां 40 डिग्री सेल्सियस भी इन मजदूरों के इरादे को कमजोर करने में नाकामयाब साबित हो रही है।

यह लोग हालात के आगे मजबूर हो चुके है। उन्होंने लॉक डाउन से खड़ी हुई परिस्थितियों के आगे घुटने टेक दिए हैं। लेकिन बावजूद इनके इरादे नेक है और यह लोग अपने पैतृक निवास पर लौट रहे हैं।

इनमें से कुछ लोग बिहार के मधुबनी का रूख़ कर है तो कुछ यूपी के गोरखपुर पहुंचना चाहते हैं। लेकिन इनमें से कुछ लोग पैदल ही निकल रहे है तो किसी ने यातायात के लिए साईकिल यात्रा को चुना है।

इस दृश्य को देख किसी का भी मन विचलित हो उठेगा। इन प्रवासियों में अधिकांश लोगों के परिजनों में छोटे छोटे मासूम भी शामिल हैं। जो अपने माता – पिता के मिलो के सफर में शामिल होंगे।

यहां सवाल यह उठता है कि जब सरकार ने मजदूरों को हर मुमकिन सहायता देने की घोषणा की है आखिर क्यों यह लोग पलायन कर रहे हैं, या तो सहायता के नाम पर इन्हे निराशा मिली है जिसके कारण इन्होंने यह कदम उठाया है।

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