किसान आंदोलन के बीच हरियाणा भाजपा के जाट नेता सवालों के घेरे में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दरबार में हरियाणा के कुछ जाट नेताओं की भूमिका पर बड़े सवाल उठे हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में साझीदार डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को यह समझाने में कामयाब रहे कि उन्हें प्रदेश में भाजपा का साथ देने पर राजनीतिक नुकसान हो सकता है।
इसके बावजूद वह भाजपा के साथ हैं, लेकिन भाजपा के उन जाट नेताओं से भी जवाबतलबी की जानी चाहिए, जो डेढ़ माह से चल रहे किसान आंदोलन की चिंगारी को भड़कने से रोकने में कामयाब नहीं हो पाए हैं।
सूत्रों के अनुसार दुष्यंत ने भाजपा नेतृत्व से कहा कि उनकी पार्टी के कुछ जाट नेताओं ने अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाह नहीं किया। ऐसे नेताओं के नाम लेकर चर्चा हुई। दुष्यंत ने दलील रखी कि यदि वह भाजपा का साथ नहीं देते तो सरकार को दिक्कत आ सकती थी।
दुष्यंत ने भाजपा नेतृत्व से मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही उसमें बदलाव करने तथा अपने कोटे से युवा विधायकों को मंत्री पद देने की सिफारिश की। दुष्यंत ने यह फार्मूला भी रखा कि यदि वह सरकार से बाहर हो जाएं तो अपनी साख बचाने के लिए काम कर सकते हैं। लेकिन इतने रिस्क के बाद भी यदि उनकी और विधायकों की सुनवाई नहीं होगी तो यह ठीक नहीं है।
हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर पिछले 50 दिनों से तीन कृषि कानूनों को रद करने की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है। करनाल के कैमला में भाजपा ने इन कानूनों के समर्थन में महापंचायत करने की रणनीति तैयार की थी, लेकिन आंदोलनकारियों ने भाजपा का यह कार्यक्रम नहीं होने दिया।
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