कहा जाता है कि मां बाप भगवान का रूप होते है। लेकिन आज के युग में उसी भगवान को दर दर की ठोकर खाने के लिए सड़क पर छोड़ दिया गया है। पिता की मृत्यु के बाद बेटे को नौकरी मिल गई। लेकिन उसके बावजूद भी वह बेटा मां को दो वक्त की रोटी भी नहीं खिला पा रहा है।
हर कोई सोचता है कि उनके घर में बेटा जन्म लें। उस बेटे के लिए न जाने कितने लोग भ्रुण जांच करवा कर बेटी होने पर उसकी गर्भ में ही मृत्यु कर देते है। ऐसे बेटों से अच्छा तो भगवान एक बेटी को जन्म दे दें। ऐसी एक कहानी गुरूवार को एक मां बल्लभगढ़ स्थित एसडीएम कार्यालय के बाहर बने पार्क में धरना देने पहुंची की है।
बल्लभगढ़ स्थित ऊंचा गांव कुम्हारवाडा में रहने वाली 86 वर्षीय शकुंतला ने बताया कि उनके तीन बेटे हैं। तीनों शादीशुदा है। उन्होंने बताया कि उनके पति का देहांत करीब 24 साल पहले हो चुका है। पति के देहांत के बाद उनके पति की नौकरी बीच वाले बेटे को मिल गई। उन्होंने बताया कि इस वक्त उक्त बेटे की तनखा करीब 40 हजार रूपये है। पति की मृत्यु के बाद शकुंतला अपने इन्हीं तीनों बेटों पर आश्रित हैं। लेकिन अब तीनों बेटों में से कोई भी उन्हें घर पर नहीं रख पा रहे है। उन्होंने बताया िकवह मकान उनके पिता ने उन्हें दिया है। जिस पर उनके बेटों का कोई हक नहीं है। इसी के चलते उन्होंने कोर्ट में भी केस दर्ज किया था। केस का फैसला उनके हित में आया। जिसमें कोर्ट ने आदेश दिया की शकुंतला का घर उनके बेटों से जल्द से जल्द खाली करवाया जाए। उन्होंने बताया कि फैसने को भी करीब एक साल 3 महीने हो चुके है। लेकिन अभी तक एसडीएम की ओर से काई कार्यवाही नहीं हुई। जिसकी वजह से वह सड़क पर घूमने पर मजबूर है।
शकुंतला ने बताया कि जिस मकान में उनके तीनों बेटे रहते हैं, वह मकान उनके नाम पर है। जो उनके पिताजी ने उनके नाम पर किया था। लेकिन अब शकुंतला नामक इस महिला के तीनों बेटों ने इस मकान पर कब्जा कर लिया है। इसी वजह से गुरूवार को वह एसडीएम बल्लभगढ़ के कार्यालय के बाहर बने पार्क में धरना प्रर्दशन करने पहुंच गई। उक्त महिला अपना बोरिया बिस्तर लेकर आई है। शकुंतला का कहना है कि जब तक एसडीएम उनके मकान को खाली नहीं करवाते है वह यही पर इसी पार्क में रहेगी।
लेकिन गुरूवार को एसडीएम कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी ने उनसे कहा कि एसडीएम जिले से बाहर गए हुए है। सोमवार को वापिस आएंगे। सोमवार को आकर उनसे बात कर लेना। इसी आश्वासन के चलते शकुंतला आज अपने किसी परिजन के घर रहने के लिए चली गई। लेकिन शकुंतला का कहना है कि वह सोमवार दोबारा से एसडीएम के पास अपनी गुहार को लेकर आएगी और जब तक उनके मकान को खाली नहीं करवाया जाएगा वो यहां से कहीं नहीं जाएगी।
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