बरसों से चाय पीना लोगो का शौक रहा है फिर चाहे वो सुबह की चाय हो, दफ्तर में काम के बीच हो या शाम के वक्त थकान दूर करने के लिए हो। चाय पीकर जो तंदुरुस्ती मिलती है फिर उसका जवाब कहा और जो ठंड के मौसम में चाय का मजा है उसका तो कोई मुकाबला ही नहीं है। भारत के उत्तरी जगहों पर लोगो को चाय पीना बेहद पसंद है तो वहीं दक्षिण भारत के लोग कॉफी पीना पसंद करते है।
लेकिन चाय बनाने के बाद जो चायपत्ती बच जाती है लोग उसको कचरे के डब्बे में फेक देते है जिसका कोई फायदा नहीं होता। चायपत्ति मिट्टी में मिलकर डिकॉम्पोज तो हो जाती है मगर चायपत्ती के बच जाने से उसका किसी और चीज़ में इस्तेमाल भी हो सकता है।
आजकल सभी लोगो को अपना घर फूलो और पत्तो से भरा हुआ अच्छा लगता है तो यह जानकारी उन लोगो के लिए बेहद खास है। दरसल, जो चायपत्ति इस्तेमाल होने के बाद बच जाती है उसका हम काफी आसानी से दुबारा उपयोग कर सकते है। उत्तर प्रदेश के रहने वाले बह्मदेव कुमार ने इस पर अपनी राए दी, ब्रह्मदेव काफी सालो से बची हुई चैपत्तियो का इस्तेमाल पौधों की खाद बनाने में इस्तेमाल करते है। उन्होंने बताया, कोई भी व्यक्ति कम समय में एक हाई क्वालिटी का खाद बना सकता है।
चाय की पत्ति से बनाने वाले खाद में 4 प्रतिशत नाइट्रोजन पाया जाता है साथ ही इसमें फोसपोर्स और पोटैशियम तथा हर तरह के मिनरल शामिल होते है। यह सभी मिनरल काफी में होते है मगर नाइट्रोजन की मात्रा इसमे कम पाई जाती है जो केवल 2 प्रतिशत ही होती है।
अगर बची हुई चायपत्ती का इस्तेमाल खाद में किया जाता है तो इससे पौधों को अच्छे पोषक तत्व मिलते है क्योंकि इसमें अदरक, तुलसी और इलाइची जैसे हर्ब्स होते है। यह प्रक्रिया हर तरह के पौधों के लिए उपजोगी है क्योंकि इसमें हाई क्वालिटी ऑफ नाइट्रोजन शामिल है। इससे न सिर्फ पौधों को अच्छी ग्रोथ होती है बल्कि इससे फूल और फलों की मात्रा बढ़ जाती है।
सबसे पहले इस्तेमाल की गई चायपत्ती को अच्छे से धोएं व निचोड़ लें।धोने के बाद इसे मिट्टी के खड़े या मटके में डाल दे।फिर खड़े में किसी नुकीली चीज़ से इसमे छेद करें ताकि इसे हवा अंदर और बाहर आ जा सके।छेद करने के बाद इसे उस जगह पर रखे जहां अच्छी धूप हो और जहां बारिश ना आती हो।कुछ समय बाद इसमें सफेद रंग की परत जमी होगी जो फंगस है और उसी से बाद में खाद बनेगी।
काफी दिनों बाद इसमे डाली गई चायपत्ती आधी हो चुकी होगी फिर इस खाद को घड़े से निकालकर धूप में सुख दे।
Written by – Aakriti Tapraniya
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