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पापड़ बेचके की थी शुरुआत, अब सालाना आए 3 से 4 लाख

आज की तारीक में हर कोई अपना बिजनेस चलाना चाहता है। लेकिन इसकी शुरुआत कैसे और कहा से करें यह समझ पाना थोड़ा मुश्किल है। परन्तु भारत के लोग हमेशा से ही हर चीज़ में गुंडी रहे है ठीक ऐसे ही एक कहानी है सुपरवोमैन शैलजाबेन की। उत्तर प्रदेश की रहने वाली शैलजाबेन की कहानी सुनकर हर कोई हैरान रह जायेगा।

शैलजाबेन अपने परिवार के साथ वडोदरा में रहती है। उनकी शादी 12वीं के बाद कर दी गयी थी। शैलजाबेन का एक बेटा और एक बेटी है, बेटा विदेश में है तो बेटी बेंगलुरू में पढ़ाई कर रही है। वहीं उनके पति पेट्रोलियम कंपनी में काम करते है।

पापड़ बेचके की थी शुरुआत, अब सालाना आए 3 से 4 लाख

शैलजाबेन ने शुरुआती दिनों में पापड़ बेचकर पैसे कमाए थे, फिर उन्हीने गार्डनिंग करना शुरू किया। गार्डनिंग के दौरान यूट्यूब पर वीडियोस देखते देखते उन्हें एक दिन घानी तेल की जानकारी मिली जहां से उन्हें लगा कि अब उन्हें यह बिजनेस स्टार्ट करना चाहिए। इस बिजनेस को शुरू करने से पहले उन्होंने अपने घर वालो की रजामंदी मांगी उसके बाद उन्होंने यह काम शुरू कर दिया।

उनका कहना है कि शुरुआती दिनों में वह प्रतिदिन सिर्फ 10- 12 लीटर तेल निकाला करती थी लेकिन अब यह एक महीने का हजार लीटर हो गया है। शैलजाबेन ने बताया कि उनके यहां पहले सिर्फ मूंगफली का तेल ही निकलता था और आज वह इसके साथ साथ नारियल, बादाम, राई, कपास और भी तरह के तेल निकाल लेती है।

आज भारत के कई राज्यो व जिलों से उनके पास तेल की डिमांड आती है जैसे दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरु। शैलजाबेन अपने बिजनेस की कामयाबी को अच्छा होता देख अब ऑनलाइन सर्विस और कोरियर की प्रक्रिया भी जारी करेंगी। उनको अपने बिजनेस में हो रही तरक्की से बेहद खुशी मिलती है।

वह अपने आपको एक गर्व बिजनेस वोमैन की नजर से देखती है। जैसे कि डॉक्टर भी शुद्ध तेल से बनी चीज़ों की सलाह देते है कुछ इसी प्रकार शैलजाबेन भी अपने गाहकों को शुद्ध तेल मुहैया करवाना चाहती है और इसकी वजह से कच्ची घानी के तेल में मौजूद पोषक तत्व कहीं खराब नहीं होते।

अगर आप भी इस तेल का मजा उठाना चाहते है तो शैलजाबेन से जल्द ही संपर्क करें और उनकी कंपनी से बने इस तेल को अपने घरो में यूज करें। इनके यहां बना ये तेल आपको स्वस्थ, तंदुरुस्त, और एक्टिव रखता है। और जिनको भी भूख न लगाने की बीमारी है वह इसका इस्तेमाल तो आवश्य ही करें।

Written by – Aakriti Tapraniya

Avinash Kumar Singh

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