नमस्कार मैं हूं फरीदाबाद का नगर निगम। अब मेरे बारे में क्या ही कहा जाए, मैने तो अपनी दीवारों में करोड़ों रुपए के राज दफना रखे है, चाहे वह रिकॉर्ड रूम में आग लगने का हो या फिर फाइल गायब होने का। अगर नगर निगम कोई मनुष्य होता तो सच में वह कुछ ऐसा ही सोचता।
फरीदाबाद नगर निगम के भ्रष्टाचार के किस्से तो जगजाहिर हैं। आए दिन नगर निगम से कोई- न कोई घोटाला सामने आता रहता है। बीतें तीन वर्ष में नगर निगम से तीन बड़े घोटाले सामने आए है। इनमे से सबसे बड़ा घोटाला जुलाई 2020 में सामने आया जहां 40 वार्डों में से 10 वार्डों में विकास कार्यों में एक भी ईंट नही लगी परन्तु ठेकेदारों को करोड़ों का भुगतान कर दिया गया।
यह घोटाला सेक्टर- 37 के पार्षद दीपक चौधरी की ओर से वित्तीय खर्च की जानकारी के बाद उजागर हुआ था। पार्षद दीपक चौधरी ने खर्च से संबंधित डाटा की जानकरी लिखित में मांगी थी। प[पार्षदों को वित्तीय शाखा से मिली जानकारी में ठेकेदारों को केवल नालियों की मरम्मत, इंटरलॉकिंग टाइल्स बिछाने और स्लैब लगाने जैसे तीनों कामों के लिए करोड़ों रूपए का भुगतान रिकॉर्ड में दिखाया गया। यह सभी भुगतान जनरल फंड से किए गए। वही उस वक्त नगर निगम का जनरल फंड खाली था। वही गौर करने वाली बात यह भी है कि पिछले 4 वर्षों से सभी विकास कार्य सीएम फंड से ही हो रहे है।
जब यह मामला खुला तो राज्य सरकार ने इस मुद्दे की जांच मंडलायुक्त संजय जून को सौंप दी। घोटाले की जांच अभी चल ही रही थी कि 17 अगस्त को निगम के वित्तीय शाखा में आग लग गई और आग में वित्तीय शाखा का रिकॉर्ड और अन्य सामान जलकर स्वाहा हो गया।
वही नगर निगम से ऐसा ही एक और मामला सामने आया है, जहां ठेकेदारों को बिना काम के ही भुगतान कर दिया गया है। वार्ड तीन के पार्षद जयवीर खटाना ने दो महीने पहले नगर निगम की सदन बैठक में यह मुद्दा उठाया कि नगर निगम द्वारा आउटडोर विज्ञापन के तहत जगह- जगह पर यूनिपोल और गैन्ट्री लगाने के आदेश ठेकेदारों को दिए गए थे परन्तु ठेकेदारों ने अभी काम पूरा भी नही किया और उन्हें करीब 21 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
फरीदाबाद नगर निगम भ्रष्टाचार का अंबार लगा हुआ है। वर्ष 2018 में निगमायुक्त मोहम्मद शाइन ने प्लानिंग ब्रांच की कुछ फाइलों गायब होने को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई थी, उसका भी आजतक कोई पता नही है।
जनवरी 2019 में निगम के ओल्ड फरीदाबाद कार्यालय से सामने आया कि कर्मचारी निगम के जनरेटर से डीजल चुराकर खुले बाजार में बेच रहे थे, इसकी भी जाँच पूरी नही हो सकी। अभी जनवरी 2020 में महंगाई भत्ता कार्यालय में कार्यरत एक कर्मचारी द्वारा वकीलों की फीस अपने खाते में ट्रांसफर करने का मामला अभी भी जांच के लिए लंबित है। वही जनवरी 2020 में पानी का बिल कम करने की एवज में रिश्वत मांगने वाले कर्मचारी को विजिलेंस टीम पकड़ चुकी है।
इस पूरे मामले में नगर निगम आयुक्त यशपाल यादव का कहना है कि निगम की वित्तीय शाखा में लगी आग की जांच चल रही है। इसके अलावा स्ट्रीट लाइट और विज्ञापन मामले की भी जांच चल रही है, जल्द ही इस मामले से पर्दा उठेगा।
Written by Rozi Sinha
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