अन्नदाता की मेहनत व हाथों से उगाई हुई फसलों से जहां पूरे देश की भूख को शांत किया हुआ है। वहीं आज आलम यह है कि अन्नदाता का मन अशांत करने में केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार द्वारा कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई है।
एक तरफ जहां अपनी जमीन खोने के खौफ के चलते जेजेपी विधायकों द्वारा दुष्यंत चौटाला से मुलाकात कर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग रखी जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ चौटाला भी अमित शाह से मिलने दिल्ली पहुंच रहे हैं। यह दृश्य साफ-साफ बखान कर रहा है कि किसान आंदोलन अब हरियाणा सरकार के गठबंधन पर तगड़ा वार करने से नहीं चुंका है।
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पर ना सिर्फ अपना पदभार वहीं दूसरी तरफ अपने परदादा ताऊ देवीलाल की किसानों से जुड़ी पहचान व विरासत को संभालने का दबाव सबसे अधिक बना हुआ है। जानकारी के लिए बता दें कि ताऊ देवीलाल ने हमेशा ही किसान हो या फिर मजदूर से लेकर गरीब वर्ग की आवाज को बुलंद बनाने में अपना अहम योगदान अदा किया है।
यही कारण है कि आज भी वह किसानों के बीच में चर्चा का विषय और किसानों के चहेता बने हुए हैं।
विरासत में मिली अपने दादा की इन खूबियों और पहचान को बनाए रखने के लिए हरियाणा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी हर मुमकिन प्रयास करने में जुटे हुए हैं।
दुष्यंत चौटाला बीजेपी के साथ मिलकर हरियाणा में सरकार चला रहे हैं, लेकिन मुश्किल इतनी भर नहीं है. दुष्यंत चौटाला के चाचा और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) अभय सिंह चौटाला किसानों के समर्थन में विधायक पद से इस्तीफा देकर हीरो बन गए हैं।
वे हरियाणा के 90 सदस्यीय सदन के इकलौते और पहले विधायक हैं, जिन्होंने किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए इस्तीफा दिया। अभय चौटाला का इस्तीफा दुष्यंत के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। साल 2019 में किसानों और जाटों का जो वोट अभय की पार्टी से छिटककर दुष्यंत को मिला,
अब डर है कि इस्तीफे के बाद वह जनाधार फिर से अभय के पास जा सकता है. इसे समझने के लिए हरियाणा राजनीति के कुछ पुराने पन्ने पलटने होंगे।
वहीं अभय चौटाला इस्तीफा देकर साबित करना चाहते हैं कि दादा चौधरी देवीलाल की विरासत के असली वारिस वे ही हैं. इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा, मैं अपने दादा चौधरी देवीलाल के पदचिह्नों पर चल रहा हूं, जिन्होंने किसानों के कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया, अगर कोई किसानों के हित और कल्याण के खिलाफ काम करता है
तो हमारी पार्टी हमेशा इसके खिलाफ खड़ी रहेगी. अभय ने दुष्यंत चौटाला पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग चौधरी देवीलाल की तस्वीरें लगाते हैं, अगर वे इस समय इस्तीफा नहीं देते हैं तो वे चौधरी देवीलाल की छवि पर धब्बा हैं.
अभय चौटाला विधानसभा से इस्तीफा देकर साबित करना चाहते हैं कि वह ही किसानों के सच्चे हितैशी हैं।. वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी के पुराने साथी रहे।रामपाल माजरा ने बीजेपी छोड़ दी है। रामपाल माजरा आईएनएलडी के बड़े नेता रहे हैं, लेकिन वह 2019 के चुनाव में बीजेपी में चले गए थे। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वह फिर से आईएनएलडी में शामिल हो सकते हैं।
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