आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया। इस बजट के आने से पहले से ही लोगों को बहुत सारी उम्मीदें थीं। निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ये सदी का सबसे बेहतर बजट होगा, जबकि पीएम मोदी ने इस बात का इशारा किया है कि ये किसी मिनी बजट से अधिक नहीं होगा, ऐसे में उम्मीदें कम रहनी चाहिए। इस बजट से बहुत सारे लोगों की उम्मीदें पूरी हुई हैं, लेकिन ऐसे भी बहुत से लोग हैं जिनके हाथ निराशा लगी है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए बजट में खास वर्ग के अति वरिष्ठ नागरिकों को इनकम टैक्स रिटर्न भरने से छूट देने का ऐलान किया है। उन्होंने अपने तीसरे बजट के प्रावधानों की घोषणा करते हुए कहा कि 75 वर्ष और इससे ऊपर की उम्र के उन बुजुर्गों को आईटीआर भरने की जरूरत नहीं होगी जिनकी आजीविका पेंशन या बैंकों में जमा धन पर मिलने वाले ब्याज पर निर्भर है।
बुजुर्गों के लिए भी बड़ी राहत
इस बार के बजट में बुजुर्गों को बड़ी राहत मिली है। 75 साल के अधिक की उम्र के लोगों पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। हालांकि, शर्त ये है कि ये छूट उन्हें सिर्फ पेंशन पर दी जा रही है, ना कि बाकी किसी तरीके से हुए कमाई पर। यानी बाकी हर तरह की कमाई टैक्स के दायरे में होगी।
हेल्थ सेक्टर को सबसे ज्यादा बजट
इस बार के बजट में सबसे अधिक फायदे में रहा हेल्थ सेक्टर, जिसे इस बजट में 2.38 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया। स्वास्थ्य बजट में 135 पर्सेंट का इजाफा हुआ है। ये पहले 94 हजार करोड़ रुपये था, जिसे अब बढ़ाकर 2.38 लाख करोड़ रुपये किया गया है।
बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर में बढ़ा एफडीआई
इस बार के बजट में इंश्योरेंस सेक्टर में 74 फीसदी तक एफडीआई का ऐलान किया गया है, जो पहले सिर्फ 49 फीसदी था। इसके अलावा निवेशकों के लिए चार्टर बनाने का भी ऐलान किया गया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर में ढेर सारी नौकरियां निकलेंगी।
ये हुए महंगे
ये हो गए सस्ते
आम आदमी और महिलाओं के लिए बजट मे नही रहा कुछ ख़ास
देखा जाए तो ये बजट आम आदमी का था ही नहीं। आम आदमी को राहत मिले, ऐसी तो कोई घोषणा ही नहीं हुई। आम आदमी के लिए ये बजट निराशाजनक रहा। वही वित्त मंत्री निर्मली सीतारमण से उम्मीद थी कि वह महिलाओं के लिए जरूर कुछ ना कुछ खास करेंगी। लेकिन बजट भाषण सुनकर यूं लगा मानो महिलाओं पर भी इस बजट में कुछ खास ध्यान नहीं दिया गया।
बजट में सरकार का खजाना रहा लगभग तंग
दरअसल, वित्त वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा से इतना तो संकेत मिल गया है कि कोविद-19 महामारी के कारण सरकार के पास नागरिकों को देने के लिए बहुत कुछ बचा नहीं है। इस कारण जमीन पर कुछ ठोस घोषणाओं की जगह प्रतीकात्मक राहत के ही ऐलान हुए हैं। सैलरीड क्लास को तो बिल्कुल मायूसी हाथ लगी है, उसे सांकेतिक राहत भी नहीं दी गई।
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