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यह आत्मनिर्भर बजट नहीं आत्मघाती बजट है: अभय सिंह चौटाला

फ़रीदाबाद, 2 फरवरी: इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को बताया कि यह आत्मनिर्भर बजट नहीं आत्मघाती बजट है।

इस बजट से कृषि क्षेत्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, आम आदमी पर महंगाई की मार, निजीकरण, व्यापारी, छोटे दुकानदार व युवाओं के रोजगार पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

यह आत्मनिर्भर बजट नहीं आत्मघाती बजट है: अभय सिंह चौटाला

कृषि क्षेत्र पर बजट का प्रभाव-


इनेलो नेता ने कहा कि जहां कोरोना महामारी के कारण सभी सेक्टर घाटे में रहे वहीं कृषि एकमात्र ऐसा सेक्टर था जिसने देश की अर्थव्यव्स्था को जिंदा रखा। इस बजट में कृषि क्षेत्र की अनदेखी की गई है

जहां पिछले साल कृषि बजट 1 लाख 55 हजार करोड़ रूपए जो की 5.7 प्रतिशत था, उसे इस साल घटा कर 1 लाख 48 हजार करोड़ जो की 4.3 प्रतिशत कर दिया गया है। किसान सम्मान निधि में 10 हजार करोड़ रूपए की कटौती की गई है।

यूरिया और डीएपी की सब्सिडी को 42 प्रतिशत घटा कर किसानों के हितों को अघात पहुंचाया है। कृषि सब्सिडी को भी घटा दी गई हैं। एफसीआई की स्पोर्ट राशि में भी 52 हजार करोड़ की कटौती कर दी गई है।

इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी प्रधानमंत्री सम्पदा योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में भी भारी कटौती की गई है। उन्होंने कहा कि किसानों का सबसे बड़ा मुद्दा था कर्ज मुक्ति और एमएसपी जिसका बजट में कोई जिक्र ही नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह से किसानों के खिलाफ और कारपोरेट जगत को लाभ पहुंचाने वाला है।


शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र पर बजट का प्रभाव-
शिक्षा में भी पिछले साल केे बजट के मुकाबले इस साल लगभग 6100 करोड़ की कटौती की गई है साथ ही अन्य योजनाएं जैसे राष्ट्रीय शिक्षा मिशन, शिक्षा सशक्तिकरण में भी भारी कटौती की गई है। स्वास्थ्य क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा स्कीम बजट में भी कटौती की गई है।

आम आदमी पर बजट का प्रभाव-

आम आदमी पर इस बजट में महंगाई की भारी मार पड़ी है। इस बजट में डीबीटी-एलपीजी का बजट पिछले वर्ष की तुलना में घटा कर 30 प्रतिशत कर दिया है। किसानों को बदनाम करने की साजिश के तहत पेट्रोल और डीजल पर कृषि सेस लगा दिया है जिससे आम आदमी के साथ-साथ किसानों की फसल की लागत भी बढ़ेगी।

व्यापारियों पर बजट का प्रभाव-

ई-कॅामर्स कंपनियों पर लगाम न कसने से उम्मीदें धराशायी हुई हैं। गिनती के दो-चार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने देश के आर्थिक विकास की रीढ़ माने जाने वाले लघु व मध्यम वर्ग को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है।

युवा एवं रोजगार पर बजट का प्रभाव-

लॉकडाउन में जिन लाखों लोगों के रोजगार छिन गए थे उनके लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया। नौकरी पेशा लोगों को टैक्स स्लैब में कोई छूट नहीं दी गई। खेलो इंडिया के तहत मिलने वाली राशि में 26 प्रतिशत की कटौती की गई है।

जहां प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 20 प्रतिशत की कटौती की गई है वहीं कार्य एवं कौशल विकास योजना के तहत इस साल 35 प्रतिशत की कटौती करके रोजगार खत्म करने का काम किया है।

महिला सशक्तिकरण व सुरक्षा-

इस साल के बजट में सरकार के द्वारा महिलाओं का सरंक्षण और सशक्तिकरण मिशन के तहत पिछले साल के मुकाबले 95 प्रतिशत की कटौती की गई है।

Avinash Kumar Singh

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