देश में चल रहे पिछले लगभग 3 महीने से किसान आंदोलन को पंजाब और हरियाणा के किसानों का समर्थन लगातार तेज़ होता जा रहा है। केंद्र सरकार के तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहा किसान आंदोलन अब दिल्ली की सरहदों या हरियाणा-पंजाब तक ही सीमित नहीं रह गया है। ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में बवाल के बाद टूटने लगा किसान आंदोलन दोबारा से खड़ा हुआ तो इस बार इसमें हर गांव की भागीदारी होने लगी है।
एक समय तो यह आंदोलन टूटा सा लग रहा था लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत के आंसुओं ने बाज़ी मारी और आंदोलन फिरसे जीवित हो उठा। कृषि कानून रद्द कराने की मांग को लेकर किसान पिछले 70 दिनों से धरने पर बैठे हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के दौरान किसानों ने कहा है कि वह 6 फरवरी को चक्का जाम करेंगे। पंजाब से करीब 7100 तो हरियाणा के 5150 गांवों से किसान धरनास्थल पर पहुंचे हैं। वहीं हरियाणा की करीब 70 खाप पंचायतें किसान आंदोलन के समर्थन में उतरीं तो उसके बाद सबसे ज्यादा किसान गांवों से धरनास्थलों पर पहुंचे हैं।
चक्का जाम को लेकर हरियाणा पुलिस सतर्क है। जिस तरह से अब अधिकतर गांवों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच रहे हैं, उससे किसान नेताओं का हर गांव से किसानों को बुलाने का अभियान सफल होता दिख रहा है। किसान नेता राकेश टिकैत ने जींद की महापंचायत में किसानों से ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया है।
किसान आंदोलन के नाम पर 26 जनवरी को दिल्ली में जिस तरह की घटना हुई उसे देखते हुए 6 फरवरी को युवा वर्ग के हुड़दंग की संभावना को भी नहीं नकारा जा सकता। हरियाणा व पंजाब के किसान सबसे ज्यादा कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे हैं तो टीकरी व गाजीपुर बॉर्डर भी यहां के किसान गए हैं।
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