आज की कहानी है एक स्ट्रगलर की। यह कहानी आपको जरूर पसंद आएगी और इससे यकीनन आप प्रेरित भी होंगे। आज हम बात करने जा रहे है दिल्ली के रहने वाले केशव राय की।
इनकी कहानी थोड़ी अलग है, शुरुआत में कई दफा फैल हुए मगर जज्बा इतना मजबूत रखा जो कभी कम नहीं हुआ। आज उसी मेहनत और जज्बे के जरिये इन्होंने जीवन में सफलता हासिल की है।
केशव ने अपने जीवन की कहानी बताते हुए कहा कि इंजीनियरिंग से इन्हें बेहद लगाव था मगर जब कॉलेज जाना शुरू किया तो पता लगा कि यहां की पढ़ाई में और स्कूलों की पढ़ाई में कोई खास अंतर नहीं है। एडमिसन तो मैकेनिकल ब्रांच में लिया था यह सोचकर कि एक दिन इंजीनियर बनूंगा लेकिन किसे पता था कि कॉलेज आकर उनकी यह सोच बदल जाएगी।


फिर जब कॉलेज की पढ़ाई में दिमाग नहीं लगा तो मन हुआ बिजनेस करने का। ऐसे ही एक दिन केशव ने ऑनलाइन प्लेटफार्म बनाने का सोचा जहां वो बच्चो को नोट्स से लेकर लेक्चर तक उपलब्ध करवाना चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘ कुछ दोस्तों से भी पैसे उधार लिए। ये सोचा था कि, वेबसाइट को जो भी एक्सेस करेगा, उससे सौ रुपए चार्ज लेंगे। इससे वेबसाइट मेंटेन भी कर पाएंगे और कुछ प्रॉफिट भी होगा।
लेकिन ये आइडिया फेल हो गया क्योंकि किसी ने सपोर्ट नहीं किया ‘। जैसे कि कुछ लोगो को अपनी नींद से काफी लगाव होता है जल्दी उठने में अक्सर दिक्कत करते है उसी को मद्देनजर रखते हुए केशव ने सोचा कि कुछ लोग कहीं किसी से साथ घूमने फिरने जाने के लिए या कोई इमरजेंसी हो तो कभी- कभी लेट हो जाते थे इसको देखते हुए केशव को खयाल आया कि क्यों न एक ऐसी ही ऐप बनाई जाए जिससे लोग सुबह सामान्य पर उठ सके और अपनी जरूरी स्तनों पर जा सकें।
उनके मुताबिक कॉन्सेप्ट ये था कि, ऐप सभी को टाइम पर उठाएगी भी और अगले दस मिनट तक उनकी मॉनिटरिंग भी करेगी और ये भी बताएगी कि अभी कौन क्या कर रहा है। जब पिता से उन्होंने इन बारे में बात की तो उन्होंने पैसे इन्वेस्ट भी कर दिए थे मगर किस्मत इतनी खराब थी कि किसी न किसी कारण वर्ष ऐप लॉन्च ही नहीं हो पाई जिसके कारण जो 2.5 लाख रुपए इन्वेस्ट किये थे वो भी घाटे में चले गए।
केशव बहुत परेशान हुए क्योंकि फाइनेंशियल लॉस भी हुआ था और दो प्रोजेक्ट डूब चुके थे। एक दिन मेट्रो के बाहर जब केशव ने देखा कि एक इंसान गाड़ी साफ करने के लिए डस्टर ढूंढ रहा है और मिलने पर उसने डस्टर से सफाई करके उसको वहीं छोड़ दिया तब केशव ने दिमाग के घोड़ो को दौड़ाया और यह सोचा क्या मैं कुछ ऐसा बना सकता हूं जिससे गाड़ी साफ भी रहे और वो सामान वाहन चालक को साथ में कैरी न करना पड़े।
जब केशव ने घर आकर अपने पिता से इस बारे में बात की तो उनको भी ये आईडिया काफी अच्छा लगा फिर उन्होंने इस समस्या को लेकर गूगल पर सर्च किया और एक ऐसी बॉडी बाइक कवर बनाने की सोची जो बाइक के साथ ही रहे और बाइक को साफ भी करे।
फिर यह थोड़े टाइम में तैयार हुई। एक हैंडल को घुमाकर इस कवर को बाहर निकाला जा सकता है और उसी तरह से अंदर किया जा सकता है। पहले यह कवर सिर्फ बाइक के पेट्रोल टैंक और सीट कवर को ढंकता था लेकिन बाद में हम इसे अपडेट करते गए और अब जो कवर दे रहे हैं, उससे पूरी गाड़ी कवर हो जाती है।
साल 2018 में केशव ने एक कंपनी बनाई जो दिल्ली के साथ गाजियाबाद में भी शुरू हुई और आज की तारिख में सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
Written by – Aakriti Tapraniya
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