किसी भी किसान के लिए सिंचाई बहुत ही ज़रूरी है। कभी – कभी सिचांई के लिए पानी कम पड़ जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में जोहड़ गंदे पानी से ओवरफ्लो हो जाते हैं और कई बार आबादी में भी जलभराव हो जाता है। इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है। जोहड़ के पानी को सिंचाई योग्य बनाने के लिए जिला परिषद ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे करा रहा है. सर्वे होने के बाद जोहड़ में 3 और 5 पोंड बनाए जाएंगे।
देश का बड़ा हिस्सा जलसंकट और खासकर पीने के साफ पानी के संकट से जूझ रहा है। गांवों में कई जोहड़ों में पानी कम होने के कारण कुछ लोगों ने अवैध कब्जे कर लिए हैं। जिन्हें हटाने के लिए अदालत में भी मामले विचाराधीन हैं।

जोहड़ों को पुर्नजीवित कर के पानी को भी बचाया जा सकता है। जोहड़ में तालाब की तरह ही पानी जमा किया जाता है। कुछ जोहड़ों में गांव की नालियों का गंदा पानी भरा हुआ है। इस कारण जोहड़ों की साफ-सफाई भी नहीं हो पाती है। पानी सड़ता रहता है और ग्रामीण बीमार हो जाते हैं। जो हर मामूली सी बारिश होने पर ओवरफ्लो हो जाते हैं और पानी आबादी में जमा हो जाता है।
देश में किसी भी जोहड़ को बनाते हुए ध्यान रखा जाता है कि पानी का वाष्पीकरण न हो या कम से कम हो। यानी इसकी गहराई ज्यादा होती है। सिंचाई विभाग के अधिकारी डीजल पंप लगाकर जोहड़ों के गंदे पानी को निकालकर नालों में डालते हैं अब इस समस्या का स्थाई समाधान निकालने के लिए सभी गांवों के जोहड़ का सर्वे हो रहा है।
सर्वे होने के बाद सभी गांव की रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी। रिपोर्ट के बाद बजट मंजूर होगा। जिले में में जोहड़, तालाब, पोखर और कुएं सूख रहे हैं। ज्यादातर पर अवैध कब्जा हो चुका है।
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