सरकारी पद का लाभ हर कोई लेना चाहता है। सरकारी पद को लेकर खींचातानी तो हर जगह देखने को मिलती है परंतु अगर हम कहे कि इस बार पद की खींचातानी में शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी शामिल है तो आप थोड़ा चौक जाएंगे।
दरअसल, जिला शिक्षा अधिकारी पद के दावेदारों के बीच खींचातानी चल रही है। अब यह खींचातानी उच्च न्यायालय तक पहुंच गई है। पूर्व मौलिक शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलसवाल ने वर्तमान के जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी पद गंभीर आरोप लगाए है। जिले में तैनात मौलिक शिक्षा अधिकारी को गृहजनपद में ही नियुक्त करने का आरोप लगाते हुए पूर्व मौलिक शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलसवाल ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
सतिंदर कौर वर्मा के सेवानिवृत होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी का पद खाली है। ऐसे में इस पद के कई दावेदार है जिसमे जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रीतू चौधरी भी शामिल है। ऐसे में शिक्षा अधिकारी पद के लिए खींचतान बढ़ गई है। आपको बता दे कि इस पद की दावेदार एक अधिकारी की पोस्टिंग को लेकर लड़ाई उच्च न्यायालय तक पहुंच गई है।
जिले में तैनात मौलिक शिक्षा अधिकारी को गृहजनपद में ही नियुक्त करने का आरोप लगाते हुए पूर्व मौलिक शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलसवाल ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रितू चौधरी की पोस्टिंग को चैलेंज किया है। इस याचिका पर 16 मार्च को सुनवाई होनी है।
मिली जानकारी के अनुसार इस पर रितु चौधरी का कहना है कि सर्विस बुक में उनका गृहजनपद रोहतक है। ऐसे में उनकी पोस्टिंग को चैलेंज नहीं किया जा सकता। वहीं कई अन्य अधिकारी भी उनके पूर्व कार्यकाल को लेकर सवाल खडे़ कर रहे हैं। अफसरों को कहना है कि उनके कार्यकाल में घपलेबाजी हुई थी। मौलिक अधिकारी का कहना है कि वह लोकायुक्त में विचाराधीन मामले में निर्दोष साबित हो चुकी हैं।
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