केंद्रीय सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन अब खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। अगर आप भी ऐसा ही कुछ सोचते है तो यह बात भूल जाइए।
इसका कारण यह है कि जहां एक तरफ कड़कड़ाती ठंड में भी टेंट लगाकर सैकड़ों किसानों ने सड़कों पर रात गुजार किसान आंदोलन में अपना पूरा योगदान दिया तो वहीं अब गर्मी का आगाज भी हो चुका है।
ऐसे में किसान आने आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए हर कदम को आगे बढ़ाते हुए लंबी जंग की तैयारी शुरू चुके है।
जिसके चलते अब किसानों ने बदलने वाले मौसम को देखते हुए गर्मी की तपिश और बारिश से बचने के लिए किसानों ने पक्के तंबू और लोहे के फ्रेम बनाकर ठिकाना बनाना शुरू किया हुआ है। वही आपको बता दें कि यह घर और तंबू बहादुरगढ़ बाईपास पर कई स्थानों पर बनाए जा रहे हैं।
बहादुरगढ़ बाईपास पर सर्विस लेन के साथ लगती खेतों की जमीन पर पंजाब के बठिंडा के जलाल गांव के रूपिंदर और प्रेम का कहना है कि सर्दी कि विदाई से साथ ही अब गर्मी का आगाज होने को है।
उन्होंने कहा इससे बचने के लिए किसानों के लिए पक्के तंबू बनाए जाएंगे। यहां पर 26 बाय 26 की जगह पर तंबू बनाने के लिए ईंटों का फर्श भी बनाया जाएगा।
साथ ही चारों तरफ दो से ढाई फुट की दीवारें बनाई जाएंगी ताकि बारिश का पानी तंबू में न घुस सके। इससे किसानों को राहत मिलेगी और उनका आंदोलन भी जारी रह सकेगा।
कार्य की बात करें तो, इसके लिए इटें पहुंच चुकी है। इतना ही नहीं नपाई-तुलाई का काम शुरू कर दिया गया है, जो कि यह एक काम एक दिन में पूरा हो जाएगा। उक्त तंबू के बनने के बाद इसमें करीबन 35-40 लोग रह सकेंगे।
उन्होंने बताया कि यदि पक्के तंबू बनाने की और जरूरत पड़ती है तो वह भी बनाएं जाएंगे। वे यहां से वापस तभी जाएंगे, जब उनकी मांगें केंद्र सरकार मान लेगी।
बहादुरगढ़ बाईपास पर नजफगढ़ रोड के फ्लाईओवर के नजदीक जिला संगरूर के संगतपुरा गांव के किसानों ने भी लोहे का फ्रेम बनाकर पक्का घर बनाना शुरू कर दिया है। पास के खेतों से खुद पराली लेकर आए और उसे तंबू के ऊपर लगाना शुरू कर दिया। यहां पर 15 बाय 70 का घर बनाया जा रहा है। मिस्त्री गुरदीप खान कार्य को पूरा करने में जुटे हुए हैं।
वहीं संगतपुरा निवासी सतगुरु सिंह बताते है कि फिलहाल उनके गांव के 35 लोग यहां पहुंचे चुके हैं। उनके रहने-खाने की व्यवस्था कर दी गई है। बारिश के मौसम में भी किसी तरह की परेशानी न हो, उसके लिए घर बनाया जा रहा है।
यहां पर पानी की तीन हजार लीटर की टंकी रखी गई है। बिजली की समस्या न हो, उसके लिए वे एक जनरेटर भी गांव से साथ लेकर आए हैं। उन्होंने कहा सरकार चाहे कितनी मशक्कत करके देखले, मगर किसानों का हौसला कम होने कि जगह बढ़ता ही जाएगा।
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