नगर निगम फरीदाबाद इन दिनों भ्रष्टाचार का पिटारा बन चुका है। आए दिन नगर निगम से कोई ना कोई भ्रष्टाचार का मामला सामने आता ही रहता है चाहे वह ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का भुगतान करने के बावजूद भी विकास कार्य में एक ईंट का ना लगना हो या फिर रिकॉर्ड रूम में आग लगना हो।
दरअसल, जहां एक तरफ नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत शहर भर को साफ करने में लगा हुआ है वही नगर निगम अपने अंदर की गंदगी को ही साफ नहीं कर पाया है। पिछले कुछ वर्षों में नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामलों में इजाफा हुआ है। भ्रष्टाचार के मामले आने के बावजूद भी नगर निगम इस पर मौन है।
नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामले
2018 में निगमायुक्त मोहम्मद शाइन ने प्लानिंग ब्रांच से कुछ फाइलों के गायब होने की एफआईआर दर्ज करवाई थी परंतु अभी तक इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हो पाई है।
जनवरी 2019 में ओल्ड फरीदाबाद नगर निगम से डीजल घोटाला सामने आया जिसमें नगर निगम के कर्मचारी निगम के लिए अधिकृत डीजल को खुले बाजार में ऊंचे भाव पर बेच रहे थे। इस मामले की भी अभी तक जांच पूरी नहीं हो सकी है।
जनवरी 2020 में महंगाई भत्ता विभाग में कार्यरत एक कर्मचारी ने वकीलों की फीस को अपने ही बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया। इस मामले की भी जांच लंबित है।
वहीं 2020 में पानी के बिल को कम कराने के एवज में रिश्वत मांगने वाले एक कर्मचारी को विजिलेंस टीम पकड़ चुकी है वहीं 2021 में भी विजिलेंस की टीम ने विज्ञापन विभाग में कार्यरत एक कर्मचारी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा है।
ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि नगर निगम में हर साल भ्रष्टाचार का कोई ना कोई मामला सामने आ ही रहा है तो ऐसे में नगर निगम स्वयं अपना विकास कैसे कर पाएगा।
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