ईको ग्रीन के द्वारा तो गिला और सुखा कूड़ा उठाया जाता हैं । लेकिन सेक्टर 15 की महिला कमेटी के द्वारा भी एक अनोखी पहल की गई हैं। जिसमें उनके सेक्टर में काम करने वाले 10 रेगपिकर के द्वारा सेक्टर के करीब 300 घरों से गिला व सूखा कूड़ा अलग अलग करके उठाया जाता हैं।
किचन वेस्ट का जो भी कूड़ा होता है, उसको आईओसीएल के बॉयोमीथेनेशन प्लांट में सप्लाई किया जाता हैं । जिसके बाद वह उस कूड़े से एलपीजी गैस को बनाते हैं। उस एलपीजी गैस का प्रयोग मिड डे मील मे किया जाता है।
सेक्टर 15 महिला समिति की प्रधान पिंकी ने बताया कि उनके द्वारा यह कार्य 2 साल पहले शुरू किया गया था। लेकिन महामारी के चलते उसको बंद करना पड़ा। लेकिन अब वह दोबारा से इस कार्य को शुरू करने जा रही है।
इसके लिए उन्होंने अपने 10 रेगपिकर को चुना है। जिनको उनके द्वारा ड्रेस, आई कार्ड व अन्य जरूरी सामान दिए गए हैं। जिसमें मास्क और सैनिटाइजर भी शामिल हैं। उन्होंने बताया पहले उनके साथ क्षेत्र के 1600 घरों में से करीब 50 घर ही गीला व सूखा कूड़ा अलग अलग करके देते थे।
लेकिन अब जब यह दोबारा से शुरू किया गया है, तो इसमें करीब 300 घरों ने उनको आश्वासन दिया है कि वह इस मुहिम में अपना सहयोग देंगे। इसको लेकर शनिवार को देर शाम एक मीटिंग ली गई। जिसमें सेक्टर की कई महिलाएं शामिल हुई।
उनको बताया गया कि वह किस प्रकार अपने घर से निकलने वाले कूड़े को अलग-अलग करके रेग पिकर को दे सकते हैं। कूड़े में कई बार पेपर, प्लास्टिक आदि भी होते है उनको भी वह अलग करके दे सकते है। क्योंकि उस कूड़े को रेगपिकर कबाड़ में भेज सकते है।
उससे उनकी कुछ आमदनी हो जाती है। वहीं उन्होंने यह भी बताया कि गीला कूड़ा जो कि हमारे घरों की किचन वेस्ट से निकलता हैं, उसका हम किस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। गीला कूड़ा को अलग देने से वह कूड़ा रेग पिकर्स के द्वारा आईओसीएल के बॉयोमीथेनेशन प्लांट में दिया जाएगा।
जिसके बाद उस कूड़े से एलपीजी गैस बनाई जाती है। जोकि वह एलपीजी गैस मिड डे मील को बनाने में प्रयोग की जाती है। उन्होंने बताया कि हर रोज रैगपिकर के द्वारा गीला कूड़ा इकट्ठा करके प्लांट में दिया जाता है। उन्होंने बताया कि 250 किलो गीला कूड़ा से एक सिलेंडर भरा जा सकता हैं।
इसलिए ज्यादा से ज्यादा इस मुहिम में अपना सहयोग दें और अपने आसपास रहने वाले स्थानीय निवासियों को भी जागरूक करें। प्रियंका ने बताया कि उन्होंने इस मुहिम में महिलाओं को इसलिए चुना है क्योंकि वह ग्रहणी है और उनको पता है कि कूड़ा किस तरह से अलग अलग करना होता है।
क्योंकि वह घर की साफ सफाई करती हैं। इसके अलावा उनके घरों से निकलने वाला ग्रीन वेस्ट यानी गार्डन वेज जैसे कि सूखे पत्ते, घास आदि को इकट्ठा करके भी दे सकते हैं।
इसके लिए उनके द्वारा अलग से कर्मचारियों को रखा हुआ है। वह उस कूड़े को उठाकर खाद बनाने में प्रयोग करते हैं। उस खाद को सेक्टर 15 में बने पार्काें में प्रयोग किया जाता है ।
सेक्टर 15 आरडब्ल्यूए के प्रधान नीरज चावला ने बताया कि उनके क्षेत्र को स्वच्छ व साफ बनाने में इन रेगपिकर का बहुत ही अहम रोल है। उनके सेक्टर में करीब 1600 मकान हैं और इन रैगपिकर की संख्या मात्र 10 हैं। यह सुबह 7ः30 बजे के करीब अपना कार्य को शुरू करते हैं और 2 से 3 बजे तक सभी प्रकार के सारे कार्य को पूरा कर लेते है।
जिसके बाद में आसानी से अपने घर चले जाते हैं। इनको कभी भी सेक्टर वासियों की ओर से किसी प्रकार की कोई भी समस्या नहीं हुई है। रेगपिकर रमेश का कहना है कि वह पिछले कई सालों से सेक्टर 15 में कार्य कर रहे हैं। लेकिन इस मुहिम के तहत उनको काम करने में काफी अच्छा लगता है।
उन्होंने बताया कि यह एक पुण्य का काम कर रहे हैं। जो कूड़ा प्लांट में दिया जाता है, उससे जो गैस बनती हैं वह मिड डे मील को बनाने में प्रयोग की जाती है । जिससे उनको काफी खुशी मिलती है क्योंकि यह एक इन डायरेक्ट तरीके से पुण्य का काम कर रहे है।
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