वैसे तो कहते हैं कि इंसान का जीना या मरना अपने खुद के हाथ में नहीं होता। किस्मत या फिर ऊपर वाले के हाथ में होता है, लेकिन अपनी कमियों को दूर करके अपना मुकद्दर खुद लिखना यह कोई और नहीं बल्कि हमारे हाथ में होता है।
देशभर में कई ऐसे लोग होते हैं जिन्हें कोई न कोई शारीरिक मानसिक व अन्य तरीके से परेशानी कुदरती देन होती है। मगर बावजूद इन सब को दरकिनार कर दुनिया में अपनी पहचान बनाना किसी मिसाल से कम नहीं है।
अब इस मिसाल में हरियाणा के अंतर्गत आने वाले कैथल जिले की 13 वर्ष की लक्ष्मी ने भी बनाई है। कहने को तो 13 वर्षीय लक्ष्मी बोल और सुन नहीं सकती लेकिन उसकी प्रतिभा ने आज पूरी दुनिया में उसकी पहचान बनाई है। दरअसल, बाबा लदाना गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली लक्ष्मी सुन-बोल नहीं सकती।
मगर फिर भी प्रदेश स्तरीय प्रतिभा खोज प्रतियोगिता में पेंटिंग में प्रथम स्थान हासिल किया है, और गजब की बात ये है कि इस प्रतियोगिता में लक्ष्मी उन साधारण बच्चों से आगे रही जो भगवान के बनाये शरीर मे सम्पूर्ण हैं। इस प्रतियोगिता में प्रदेशभर से स्कूली बच्चों व टीचर्स ने भाग लिया था।
वही टीचर्स व लक्ष्मी के दादा-दादी ने बताया कि यह अन्य बच्चों की तरह ही स्कूल में मेहनत करती है और अपना पूरा काम ध्यान से करती है। लक्ष्मी सुन ना पाने के बावजूद भी डांस कर लेती है। घर व स्कूल में सामान्य बच्चों की तरह काम करती है सिलाई-कढ़ाई अपने हाथ-पैर दोनों से कर लेती है।
इसका अर्थ यह है कि भले ही शारीरिक रूप से लक्ष्मी में कुछ अनचाहे कमियां हो लेकिन उसमें उसकी कमियों से ज्यादा खूबियां हैं। जिसके माध्यम से ही वह पूरे समाज में अपनी पहचान बना पाने में कामयाब होगी।
ओम योग संस्थान ट्रस्ट, ओ३म् शिक्षा संस्कार सीनियर सेकेण्डरी स्कूल पाली , फ़रीदाबाद, हरियाणा, भारत…
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