फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला हुआ है लेकिन जिले में कोई स्मार्ट काम होते किसी ने नहीं देखा है। स्मार्टनेस के नाम पर ऐसा क्या है यहां कोई अधिकारी भी इस बात को नहीं बता सकता। गत 4 वर्षों से शहर को स्मार्ट बनाने का दावा किया जा रहा है। स्मार्ट रोड बनाए जा रहे हैं, लेकिन अधिकारी कितनी गंभीरता से काम कर रहे हैं यह किसी से छुपा नहीं है।
जिले में ऐसे बहुत ही कम सरकारी अधिकारी मौजूद होंगे जो दिल लगाकर जनता की सेवा करते होंगे। यदि औद्योगिक नगरी एनआईटी में बन रही स्मार्ट रोड की बात करें तो रोड बनाते समय अधिकारियों के रास्ते में आने वाले पेड़ों को हटाना भी जरूरी नहीं समझा।
शहर में ऐसे बहुत से कारण मौजूद हैं जिनकी वजह से लोगों की जान खतरे में है। किसी भी समय कोई भी हादसा हो सकता है। बात चाहे टूटी सड़कों की हो या फिर बीचों – बीच लगे पेड़ों की। कई जगह पेड़ सड़क के बीचो-बीच आ गए हैं। इस वजह से वाहन चालक परेशान हैं। इन पेड़ों को कहीं और शिफ्ट किया जा सकता था।
काफी जगह तो सड़कों के बीचों – बीच ही बिजली के खंबे भी लगे हुए हैं। बीचों-बीच खड़ा बिजली का खंभा व नीम का पेड़ का हादसों को निमंत्रण दे रहा है। अहम बात यह भी है कि इनपर पर रिफ्लेक्टर टेप भी नहीं लगाई है। इस वजह से रात को इनसे टकराकर बड़ा हादसा भी हो सकता है। वैसे तो जहां जरूरत नहीं होती वह भी सरकारी महकमे के कर्मचारी पेड़ काट देते हैं।
कोई भी सिटी स्मार्ट तब बनती है जब वहां के अधिकारी जनता के बारे में सोचे। नाम रख देने से कोई स्मार्ट नहीं बन जाता। एक महीने से भी कम समय में शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होने जा रहा है। लेकिन फिर भी काफी जगहों पर कूड़े – कचरे का पहाड़ बना हुआ है।
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