एक जमाना था जब गर्मी शुरू होते ही लोगों का कुम्हारों के पास ताता लग जाता था। लेकिन अब गरीबों का फ्रिज कहा जाने वाला मटका बहुत ही कम लोग खरीदते हैं।
गर्मी के मौसम आते ही गांव व देहात में रहने वाले लोगों को मटके का पानी पीना काफी अच्छा लगता था। लेकिन अब फ्रीज आने के बाद लोगों के द्वारा मटका लेना बंद कर दिया गया है।
जिसकी वजह से कुम्हारों का काम ठप हो गया है।कुम्हारों का कहना है कि पहले चिकनी मिट्टी आसानी से जगह-जगह मिल जाए करती थी। लेकिन अब उनको वह मिट्टी दूर दराज या फिर सोहना से लेकर आनी होती है।
जिसके बाद उनको मटके बनाने पड़ते हैं। जिसकी वजह से उसकी कीमत में भी काफी इजाफा हो गया है। एनआईटी 3 नंबर स्थित चुन्नीभाई धर्मशाला के पास कुम्हारों के द्वारा मटकी बेचे जा रहे हैं। कुम्हारों का कहना है कि पहले जो मटके 10 से ₹20 मिलते थे, वहीं अब मटके ₹80 के मिल रहे हैं।
कुम्हार रामदेई ने बताया कि पिछले 20 सालों से यही काम कर रही है। लेकिन पिछले साल महामारी के वजह से उनको काफी नुकसान हुआ था। वहीं अब लोगों के द्वारा मटका तो खरीदा जा रहा है, लेकिन उनके दाम ज्यादा होने की वजह से वह कम खरीद रहे हैं।
उन्होंने बताया कि उनके पास कई प्रकार के मटके हैं। पहले जो मटके आते थे, उसमें लोग गिलास के जरिए पानी निकालते थे। लेकिन अब जो मटके आ रहे हैं उसमें नल लगा हुआ है।
जिसके जरिए वह आसानी से नल खोल कर पानी निकाल लेते हैं। उन मटको की कीमत अलग-अलग है। किसी की कीमत ₹100 है, तो किसी की 120। वहीं उन्होंने बताया कि पहले सुरई गांव वाले लोग ज्यादा पसंद करते थे।
क्योंकि रात के समय उसमें पानी भर कर रख देते थे और सुबह उठते ही उसके पानी को पीते थे। जिससे उनका शरीर तो स्वस्थ रहता था। साथ ही उनके गले में भी किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती थी। कुम्हार राजेश ने बताया कि मटके का पानी पीने से स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक रहता है।
अगर हम फ्रिज का पानी पीते हैं, तो उससे बुखार व गला खराब होने के आशंका बनी रहती है। इसलिए आज भी शहरों में रहने वाले लोग अपने बच्चों के लिए मटका खरीद कर ले जाते हैं। क्योंकि मटके का पानी चाहे कितना भी ठंडा हो जाए, लेकिन वह स्वास्थ्य को खराब नहीं करता है।
इसीलिए वह बच्चों को फ्रिज के पानी की बजाय मटके का पानी पिलाना ज्यादा पसंद करते हैं। बीके अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विकास ने बताया कि जैसे कि अब गर्मी सर्दी का मौसम शुरू हो गया है। दिन में गर्मी रात में सर्दी है। जोकि बच्चों के लिए बीमारी का घर बन गया है।
दिन में गर्मी होने की वजह से बच्चे फ्रिज का ठंडा पानी पी लेते हैं और रात में उसका असर देखने को मिलता है। जिसकी वजह से उनको बुखार, खांसी, जुखाम व गले में दर्द आदि परेशानी से जूझना पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति को या बच्चे को ठंडा पानी पीना है तो वह मटके का पानी पिए।
क्योंकि उस पानी से ना तो कोई बीमार हो सकता है और ना ही किसी प्रकार की कोई परेशानी होगी। उन्होंने बताया कि तांबे के बर्तन में जो पानी पीता है, उससे भी उनका शरीर काफी स्वस्थ रहता है। इसीलिए ज्यादा से ज्यादा पानी मटके या तांबे के बर्तन का ही पीना चाहिए।
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