एक तरफ जहां दिल्ली के बॉर्डरों पर सरकार से रूठे किसान बैठे हैं, वहीं दूसरी तरफ हरियाणा के भी किसानों ने कुछ ऐसा कर दिया है जिसको सुनकर सभी अन्नदाताओं की तारीफ कर रहे हैं। दरअसल, प्रदेश के यमुनानगर जिले के तीन गांवों के किसानों ने सरस्वती नदी की जलधारा को प्रवाहित करने के लिए 60 एकड़ जमीन राज्य सरकार को दे दी है।
राज्य सरकार काफी कृतज्ञ है किसानों की। किसानों की दरियादिली से सभी लोग प्रस्सन हैं। सरस्वती नदी हरियाणा ही नहीं बल्कि देश की भी पहचान है। यह नदी प्रदेश के सात जिलों से भूमि के नीचे से बह रही हे।
जिन अन्नदाताओं ने अपनी भूमि दान की है उनसे आंदोलन कर रहे किसानों को भी सीख लेनी चाहिए कि देश से बड़ा कुछ नहीं होता है। इस नदी के प्रवाह को लेकर राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि नदी की धारा लगातार साल भर चले और किसानों को इसका पूरा लाभ मिले। इसको लेकर किसानों ने खुद आगे आकर सरकार को भूमि देने की पहल की है।
धर्म और संस्कृत ग्रंथों के अनुसार सरस्वती नदी काफी प्राचीन नदी है। यह नदी काफी पवित्र मानी जाती है। यह हरियाणा से निकल कर राजस्थान और गुजरात के रास्ते भारत-पाक सीमा के निकट अरब सागर में गिरती है। यमुनानगर के तीन गांवों की लगभग 60 एकड़ भूमि पर लिंक नहर न बनने के कारण सरस्वती नदी के प्रवाह में बाधा आ रही थी। इसलिए किसानों ने आगे आकर जमीन दी।
किसानों की इस पहल से हम एक धरोहर को बचाने में कामयाब हो सकते हैं। राज्य सरकार निरतंतर गंभीरता से इसे बचाने का प्रयास करती है तो किसानों दान बर्बाद नहीं जाएगा।
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