किसान आंदोलन लगातार भयावह रूप लेता जा रहा है। हर दिन किसानों की संख्या भी बढ़ रही है। इस आंदोलन के कारण प्रदेश में पंचायत चुनाव रुके हुए हैं। सरकार किसान आंदोलन के बीच पंचायत चुनाव नहीं कराएगी। आंदोलन से बने वातावरण के ठीक होने के बाद ही चुनाव कराने का निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने को इसकी जानकारी दी है।
प्रदेश में पंचायती चुनाव का इंतज़ार ग्रामीणवासी काफी समय से कर रहे हैं। पंचायत चुनाव के लिए अभी वातावरण ठीक नहीं है। दबाव के विषय चले होने से लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन होता है।
देश की करीब 70 फीसदी आबादी गाँवों में रहती है और पूरे देश में दो लाख से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। इन चुनावों का इंतज़ार ग्रामीणवासी लगातार कर रहे हैं। सीएम ने कहा है कि जैसे ही वातावरण ठीक होगा, वैसे ही चुनाव कराएंगे। पंचायतों का कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म हो चुका है। पंचायतों में प्रशासक लगाए जा चुके हैं।
ग्रामीणों में इंतज़ार बहुत लंबा खिंचता जा रहा है। कोई अंदाज़ा नहीं है यह इंजतार कब समाप्त होगा। जब तक चुनाव नहीं होते तब तक विकास कार्यों में कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी। सरकार चुनावों के लिए तैयार है और नई पंचायतों का गठन भी किया जा चुका है। विकास एवं पंचायत विभाग के अनुसार अधिकतर पंचायतों ने प्रशासकों को रिकॉर्ड सौंप दिया है।
प्रदेश सरकार भी इन चुनावों को जल्द से जल्द करवाना चाहेगी। किसान आंदोलन के बीच यदि चुनाव होते हैं तो देखना होगा कि राजनैतिक ऊंट किस ओर बैठेगा।