ज़रा सोचिये निर्दोष होने के बावजूद यदि कोई आपको गलत बताता है तो कैसा लगता है। लेकिन एक ऐसा शख्स भी मौजूद है जिसने कोई गुनाह ही नहीं किया लेकिन 20 साल सजा काट कर आया। यह कहानी है निर्दोष होने के बावजूद आजीवन कारावास की सजा मिलने पर जेल में बंद रहे विष्णु तिवारी की। वह कई बार आत्महत्या का मन बना चुका था, लेकिन न्याय की आस में जीवित रहा।
ऐसे लम्हे और ऐसी घटनाएं जब किसी के साथ होती हैं तो उसे आत्महत्या का ही विकल्प सूझता है। उनके दिमाग में भी ऐसा इसलिए आया ताकि अपने ऊपर लगे कलंक को धो सके।
हमारे देश में ऐसा बहुत बार होता है कि किसी निर्दोष को सज़ा सुना दी जाती है। ऐसा ही इनके साथ हुआ। लेकिन अब आखिरकार 19 वर्ष बाद हुआ भी ऐसा कि सबका भरोसा न्याय की तरफ बढ़ गया। विधिक सेवा समिति ने विष्णु को निर्दोष साबित करवाकर जेल से बाहर लाने में मदद की। निर्दोष साबित होकर विष्णु जेल से छूटकर अपने घर पहुंचा तो गांव के लोगों ने उसे हाथोंहाथ लेते हुए उसका सम्मान किया।
बिना जुर्म के सजा काटना वो भी इतने लंबे समय तक किसी के बस की नहीं। उन्होंने ऐसा करके एक रिकॉर्ड बनाया है। समाज ने विष्णु के जेल जाने पर उसके परिवार को सार्वजनिक समारोहों में बुलाना बंद कर दिया था, पर आज जब विष्णु निर्दोष होकर लौटा तो सभी ने खुले दिन से उसका स्वागत किया।
समाज को समझ पाना किसी के बस में नहीं है। समाज हमेशा से तानों का शौकीन रहा है। जजमेंट का शौकीन रहा है। विष्णु ने एक मिसाल पेश की है कि बस कोर्ट में भरोसा रखें। भगवान के घर भी देर है अंधेर नहीं।
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